World Bank: विश्व बैंक ने चेतावनी दी है कि इस साल श्रीलंका में गरीबी बढ़ेगी. इसके साथ ही वैश्विक निकाय ने श्रीलंका से भारी कर्ज में कटौती, राजकोषीय घाटे को कम करने और गरीबों और कमजोरों को राहत देने की अपील की. श्रीलंका 1948 में ब्रिटेन से आजादी के बाद सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.


श्रीलंका में क्यों आया ये संकट
यह संकट कुछ हद तक विदेशी मुद्रा की कमी के चलते है, जिसकी वजह से खाद्य पदार्थों और ईंधन के आयात के लिए भुगतान करने में दिक्कत हो रही है.


श्रीलंका में इस साल बढ़ेगी गरीबी, विश्व बैंक की चेतावनी
विश्व बैंक ने कहा, "श्रीलंका में लगभग 11.7 फीसदी लोग प्रतिदिन 3.20 अमेरिकी डॉलर से कम कमाते हैं, जो निम्न-मध्यम आय वाले देशों के लिए गरीबी रेखा है. यह संख्या 2019 के मुकाबले 9.2 फीसदी अधिक है."


श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था चरमराई
विश्व बैंक ने कहा कि देश में गरीबी बढ़ने की एक वजह यह भी है कि सरकार का समृद्धि कार्यक्रम पर्याप्त नहीं था. इसके तहत देश में लगभग 12 लाख गरीब परिवारों को शामिल किया गया. कोविड महामारी के चलते श्रीलंकाई अर्थव्यवस्था 2020 में करीब 3.6 फीसदी घटी.


1948 के बाद से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा श्रीलंका
दरअसल श्रीलंका की अर्थव्यवस्था 1948 के बाद से अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है. भारी वित्तीय संकट के चलते वहां भोजन की कमी है तो विदेशी मुद्रा के अभाव में ईंधन का संकट भी आ खड़ा हुआ है. लगातार बिजली कटौती का लोगों को सामना करना पड़ा रहा है. हर सुबह सर्विस स्टेशनों के आसपास लंबी लाइनें लगती हैं क्योंकि लोग पेट्रोल और मिट्टी के तेल के लिए कतार में खड़े रहते हैं. अस्पतालों में महत्वपूर्ण दवाओं की कमी है, सरकार ने विदेशों में नागरिकों से दान के लिए अपील की है. वहीं रिकॉर्डतोड़ महंगाई ने रोजमर्रा की कठिनाइयों को और बढ़ा दिया है. 


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