(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Global Economic Slowdown: विश्व बैंक ने कहा-बीता एक दशक हुआ बेकार, वैश्विक आर्थिक विकास दर में आ सकती है बड़ी गिरावट
World Bank: रिपोर्ट में कहा गया है कि बीता एक दशक न केवल कुछ देशों या क्षेत्रों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए खोया हुआ दशक साबित हो सकता है.
World Bank On Global Economy: वैश्विक आर्थिक हालात को लेकर चिंता जाहिर करते हिुए विश्व बैंक ने कहा कि बीते एक दशक में वैश्विक अर्थव्यवस्था ने जितनी भी आर्थिक प्रगति हुई थी वो अब लुप्त होती नजर आ रही है. विश्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में कहा वैश्विक अर्थव्यवस्था की गति सीमा 2030 तक तीन दशक के निचले स्तर पर गिरने के कगार पर है. और ग्लोबल फाइनैंशियल क्राइसिस या मंदी आई तो आर्थिक विकास दर में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है.
वर्ल्ड बैंक ने फॉलिंग लॉन्ग-टर्म ग्रोथ प्रॉस्पेक्ट्स ट्रेंड्स, एक्सपेक्टेशंस एंड पॉलिसीज' शीर्षक वाली एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें ये बातें लिखी है. वर्ल्ड बैंक ने कहा कि बीते एक दशक में ग्लोबल इकोनॉमी ने जो भी कुछ हासिल किया वो सब गंवाने के कगार पर है और बीता एक दशक लॉस्ट डिकेड साबित होने जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2030 तक दुनिया की आर्थिक विकास दर की स्पीड लिमिट तीन दशकों के निचले स्तर तक गिर सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड के आने के पहले से ही बीते एक दशक में प्रोडक्टिविटी के मामले में वैश्विक स्लोडाउन के संकेत मिलने लगे थे. इससे लंबी अवधि में आर्थिक विकास को लेकर चिंताएं बढ़ने लगी थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि इवेंस्टमेंट ग्रोथ कमजोर हुआ है, वैश्विक श्रम शक्ति सुस्त रूप से आगे बढ़ रही है, कोरोनोवायरस महामारी के चलते ह्यूमन रिसोर्स कैपिटल में उलटफेर हुआ है और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि मुश्किल से जीडीपी ग्रोथ रेट से मेल खा रही है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका परिणाम ये हुआ है कि बीता एक दशक न केवल कुछ देशों या क्षेत्रों के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए खोया हुआ दशक साबित हो सकता है. विश्व बैंक ने कहा कि बगैर किसी व्यापक नीति के, वैश्विक औसत जीडीपी विकास दर अभी से लेकर 2030 के बीच 2.2 फीसदी सालाना ग्रोथ लेवल के नीचे जा सकता है जो तीन दशकों में सबसे कम है. 2011-21 में वैश्विक आर्थिक विकास दर 2.6 फीसदी रहा थी. वहीं 2001 से लेकर 2011 के दौरान ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ रेट 3.5 फीसदी रहा थी.
रिपोर्ट में कहा गया है कि विकासशील देशों पर आर्थिक विकास में गिरावट का सबसे बुरा असर पड़ने वाला है. इन देशों का विकास दर 4 फीसदी के करीब रह सकता है जो 2000 से 2010 के बीच 6 फीसदी रहा था. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्लोबल फाइनैंशियल क्राइसिस या मंदी आई तो आर्थिक विकास दर में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है.
विश्व बैंक के आउटगोइंग प्रेसीडेंट डेविड मलपास के मुताबिक, दुनिया में विकास को पुनर्जीवित करने के लिए नीतियों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के असाधारण मिश्रण की आवश्यकता होगी. डेविड मलपास वर्ल्ड बैंक के प्रेसीडेंट पद से 30 जून को गटने वाले हैं और भारतीय मूल के अजय बंगा उनकी जगह लेंगे.
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