World Bank: दुनियाभर में चरम पर महंगाई! खाने-पीने के सामान की हो सकती है कमी, वर्ल्ड बैंक ने घटाया ग्लोबल ग्रोथ रेट का अनुमान
World Bank: रूस-यूक्रेन वॉर की वजह से वर्ल्ड बैंक ने बड़ा झटका दिया है. World Bank ने ग्लोबल इकोनॉमी के अनुमान में फिर से कटौती कर दी गई है.
World Bank: रूस-यूक्रेन वॉर की वजह से वर्ल्ड बैंक ने बड़ा झटका दिया है. World Bank ने ग्लोबल इकोनॉमी के अनुमान में फिर से कटौती कर दी गई है. रूस-यूक्रेन वॉर की वजह से दुनियाभर में खाने-पीने के सामान की कमी की आशंका है. इसके साथ ही ऊंची मुद्रास्फीति को लेकर भी चिंता है. दुनियाभर में महंगाई अपने चरम लेवल पर पहुंच रही है, जिसकी वजह से इस बार अनुमान में कटौती की गई है.
पिछले साथ 5.7 फीसदी का जताया गया था अनुमान
ग्लोबल इकोनॉमी के ग्रोथ रेट को इस साल 2.9 फीसदी रहने का अनुमान जताया जा रहा है. वहीं, पिछले साल यानी 2021 में यह 5.7 फीसदी और इस साल जनवरी में 4.1 फीसदी जाताया गया था. जून के महीने के अनुमान से यह काफी ज्यादा है.
2023-24 में भी नहीं मिलेंगे अच्छे संकेत
World Bank के अध्यक्ष डेविड मालपास ने कहा है कि कई देशों में मंदी की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. संस्थान साल 2023 और 2024 में भी कोई अच्छी तस्वीर नहीं देख रहा. दोनों साल ग्लोबल ग्रोथ रेट तीन फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.
अमेरिका का अनुमान भी घटाया
विश्वबैंक ने अमेरिका के लिये आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को घटाकर 2.5 फीसदी कर दिया है जबकि जनवरी में इसके 3.7 फीसदी रहने की संभावना जतायी गयी थी. वहीं, पिछले साल 2021 में ग्रोथ रेट 5.7 फीसदी रही थी.
यूरो करेंसी वाले देश का भी घटाया अनुमान
यूरो करेंसी वाले 19 सदस्यीय यूरोपीय देशों की आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को कम कर 2.5 फीसदी कर दिया गया है जबकि जनवरी में इसके 4.2 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था. पिछले साल वृद्धि दर 5.4 फीसदी था.
चीन का ग्रोथ रेट अनुमान 4.3 फीसदी
अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यस्था चीन की आर्थिक वृद्धि दर इस साल 4.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है जबकि पिछले साल यह 8.1 फीसदी थी. चीन में कोविड महामारी की रोकथाम के लिये शंघाई और अन्य शहरों में लगाये गये ‘लॉकडाउन’ से आर्थिक गतिविधियां प्रभावित हुई हैं. हालांकि, चीन सरकार अब पाबंदियों में ढील दे रही है.
विकासशील देशों का कितना रहेगा ग्रोथ रेट?
उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि दर इस साल 3.4 फीसदी रहने का अनुमान रखा गया है जो पिछले साल 6.6 फीसदी थी.
गेहूं के बिजनेस पर पड़ा बड़ा असर
ग्लोबल इकोनॉमी अभी कोरोना वायरस महामारी से उबर ही रही थी ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध ने ऊर्जा और गेहूं के ग्लोबल बिजनेस पर काफी असर डाला है. जिंसों के दाम पहले से बढ़े थे, उसमें और इजाफा हुआ है. इससे गरीब देशों में सस्ती दर पर खाद्यान्न की उपलब्धता का संकट बढ़ गया है. मालपास ने कहा है कि कुपोषण और भुखमरी की समस्या बढ़ने का काफी जोखिम है. विश्वबैंक का अनुमान है कि इस साल तेल के दाम 42 फीसदी तक बढ़ेंगे और गैर-ऊर्जा जिंसों की कीमतों में करीब 18 फीसदी की तेजी आ सकती है. हालांकि तेल और अन्य जिंसों के दाम 2023 में आठ फीसदी कम होंगे.
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