World Bank Growth Estimate: वर्ल्ड बैंक ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर (GDP) के अपने अनुमान को घटाकर 6.3 फीसदी कर दिया है. यह वर्ल्ड बैंक के जनवरी में लगाए गए पिछले अनुमान से 0.3 फीसदी अंक कम है. इसके साथ ही वर्ल्ड बैंक ने कहा कि भारत में निजी उपभोग और निवेश में अप्रत्याशित जुझारूपन देखने को मिल रहा है. साथ ही सेवाओं की वृद्धि भी मजबूत है. वहीं 2022 की दूसरी छमाही में गिरावट के बाद 2023 में विनिर्माण क्षेत्र की स्थिति सुधर रही है. वर्ल्ड बैंक ने कहा, "वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में वृद्धि दर और धीमी होकर 6.3 फीसदी रहने का अनुमान है. यह जनवरी के अनुमान से 0.3 फीसदी अंक कम है." 


वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए भी वर्ल्ड बैंक ने लगाया ये अनुमान


वर्ल्ड बैंक ने वैश्विक आर्थिक संभावनाओं पर अपनी ताजा रिपोर्ट में यह अनुमान जताया है. इसमें कहा गया है कि 2023 में वैश्विक वृद्धि दर घटकर 2.1 फीसदी रहेगी, जो 2022 में 3.1 फीसदी रही थी. चीन के अलावा उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में वृद्धि दर पिछले साल के 4.1 फीसदी से कम होकर इस वर्ष 2.9 फीसदी रहने का अनुमान है. यह वृद्धि दर में व्यापक गिरावट को दर्शाता है.


वर्ल्ड बैंक के प्रेसिडेंट अजय बंगा ने क्या कहा


वर्ल्ड बैंक समूह के नव-नियुक्त अध्यक्ष अजय बंगा ने कहा, "गरीबी को कम करने और समृद्धि के प्रसार का सुनिश्चित तरीका रोजगार है. वृद्धि दर धीमी होने का मतलब है कि रोजगार सृजन भी मुश्किल होगा." इसके साथ ही उन्होंने कहा, 'यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वृद्धि दर के अनुमान 'नियति' नहीं हैं. हमारे पास इसे बदलने का अवसर है, लेकिन इसके लिए हम सभी को मिलकर काम करने की जरूरत होगी.'


क्यों रहेगी भारत की जीडीपी की रफ्तार सुस्त- वर्ल्ड बैंक ने बताया कारण


भारतीय मूल के बंगा ने शुक्रवार को ही वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष का पदभार संभाला था. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वृद्धि दर में सुस्ती की वजह ऊंची महंगाई दर और कर्ज की लागत बढ़ने की वजह से निजी खपत का प्रभावित होना है.


दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा भारत


रिपोर्ट के मुताबिक, "महंगाई दर के संतोषजनक दायरे के मध्य बिंदु तक आने और सुधारों की वजह से वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि दर कुछ रफ्तार पकड़ेगी. उभरती प्रमुख विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में भारत कुल मिलाकर और प्रति व्यक्ति जीडीपी..दोनों में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा." वर्ल्ड बैंक ने कहा है कि भारत में 2023 की शुरुआत में वृद्धि महामारी पूर्व के दशक में हासिल स्तर से कम रही. इसकी वजह यह है कि ऊंचे मूल्य और कर्ज की लागत बढ़ने से निजी निवेश प्रभावित हुआ.


ये भी पढ़ें


Adani Group: अडानी समूह का प्रदर्शन 2022-23 में रहा बेहतर, एबिटा में 36 फीसदी की शानदार बढ़त