Most Noble Number: हर गाड़ी का नंबर प्लेट होता है, जो एक गाड़ी के पहचान के तौर पर यूज की जाती है. भारत में आरटीओ ऑफिस के तहत से गाड़ियों में नंबर प्लेट्स जारी किए जाते हैं, जिसके लिए कुछ रुपये चार्ज किए जाते हैं. लेकिन क्या आपने सुना है कि कोई नंबर प्लेट करोड़ों में बिका हो? हम आज ऐसे ही एक नंबर प्लेट के बारे में बताने जा रहे हैं, जो करोड़ों रुपये में बिका है. 


दरअसल में दुबई में मोस्ट नोबल नंबर की नीलामी की गई, जिसमें कई नंबरों को लाखों करोड़ों के दाम में बेचा गया है. पी7 नंबर प्लेट इस ​नीलामी में सबसे महंगे दाम में बिका है. इसकी कीमत इतनी है कि मुंबई के पॉश इलाके में किसी अरबों की कीमत का फ्लैट तक खरीदा जा सकता है. 


कितनी कीमत में बिका पी7 नंबर प्लेट 


दुबई में मोस्ट नोबल नंबर्स की नीलामी के दौरान कार का नंबर प्लेट पी7 रिकॉर्ड 5.5 करोड़ दिरहम या करीब 1,22,61,44,700 रुपये में बिका. शनिवार रात को हुई नीलामी में 1.5 करोड़ दिरहम से इसके लिए बोली की शुरुआत हुई. कुछ ही सेकेंड में बोली तीन करोड़ दिरहम के पार पहुंच गई. हालांकि 3.5 करोड़ दिरहम पर जाकर ये बोली कुछ देर के लिए रुक गई थी. इसके बाद यह बोली 5.5 करोड़ दिरहम पर पहुंच गई और ये बोली पैनल सात वाले व्यक्ति ने लगाई, जिन्होंने बोली गुप्त रखने की शर्त रखी. हर बोली पर लोगों में उत्साह देखने को मिला. 


ये नंबर भी करोड़ों में बिके 


आईएएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, जुमेरा के फोर सीजन नामक होटल में हुए इस कार्यक्रम में कई अन्य वीआईपी नंबर प्लेट और फोन नंबरों की भी नीलामी हुई. नीलामी से करीब 10 करोड़ दिरहम (2.7 करोड़ डॉलर) जुटाए गए, जो रमजान के दौरान लोगों को खाना खिलाने के लिए दिए जाएंगे. कार प्लेटों और एक्सक्लूसिव मोबाइल नंबरों की नीलामी से कुल 9.792 करोड़ दिरहम मिले. 


किसने किया था नीलामी का आयोजन 


अमीरात ऑक्शन, दुबई के सड़क एवं परिवहन प्राधिकरण और दूरसंचार कंपनियों एतिसलात तथा डू द्वारा इस नीलामी का आयोजन किया गया था. इस नीलामी के दौरान पी 7 इस लिस्ट में सबसे ऊपर रहा. बता दें कि इससे पहले 2008 में एक व्यवसायी ने अबू धाबी की नंबर 1 प्लेट के लिए 5.22 करोड़ दिरहम की बोली लगाई थी.


किसे दिया जाएगा बोली का पैसा 


इस नीलामी का पूरा पैसा 'वन बिलियन मील्स' अभियान को सौंप दिया जाएगा, जिसकी स्थापना वैश्विक भूखमरी से निपटने के उद्देश्य से की गई थी. दुबई के उपराष्ट्रपति और शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद ने रमजान की दान भावना के लिए ये प्रस्ताव रखा था. 


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