Apple Share All-time High: फेड रिजर्व ने करा दिया एप्पल को तगड़ा लाभ, अब इस नई ऊंचाई पर पहुंचा कंपनी का शेयर
Apple Share CMP: एप्पल अभी दुनिया की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी है. शेयरों की ताजी उड़ान से कंपनी के मार्केट कैप में और बढ़ोतरी आ गई है...
दुनिया की सबसे बड़ी लिस्टेड कंपनी एप्पल ने अब नया रिकॉर्ड बना दिया है. अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व की ताजी बैठक के बाद कंपनी के शेयरों में तेजी देखी जा रही है. इस तरह एप्पल का शेयर नई रिकॉर्ड ऊंचाई तक पहुंचने में कामयाब हुआ है.
200 डॉलर के करीब पहुंचा भाव
टेक फोकस्ड इंडेक्स नास्डैक पर गुरुवार का कारोबार समाप्त होने के बाद एप्पल के शेयर का भाव 0.07 फीसदी की तेजी के साथ 198.11 डॉलर पर बंद हुआ. इस तरह भारतीय करेंसी में एप्पल के एक शेयर की वैल्यू 16,500 रुपये के पास पहुंच गई है. कारोबार के दौरान एप्पल का शेयर एक समय 199.62 डॉलर तक गया, जो उसका नया रिकॉर्ड उच्च स्तर है. इससे पहले एप्पल के शेयर ने इंट्राडे में 19 जुलाई को 198.23 डॉलर का पीक छुआ था.
रोज रिकॉर्ड बना रहा है एप्पल का शेयर
एप्पल के शेयरों में पिछले कुछ दिनों से जबरदस्त रैली देखी जा रही है. इससे पहले बुधवार को शेयर नए हाई क्लोजिंग लेवल पर रहा था. उसके बाद गुरुवार को कंपनी का शेयर और ऊपर उठ गया और अब 200 डॉलर के लेवल से चंद कदम दूर है. पिछले 5 दिनों में एप्पल के शेयर का भाव ढाई फीसदी से ज्यादा मजबूत हुआ है. इस साल तो शेयर के भाव में करीब 60 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है.
फेडरल रिजर्व की दिसंबर बैठक
एप्पल के शेयरों को अभी फेडरल रिजर्व की हालिया बैठक के नतीजे सामने आने के बाद सपोर्ट मिल रहा है. फेडरल रिजर्व ने दिसंबर बैठक के बाद इस बात का स्पष्ट इशारा किया कि अब नए साल में ब्याज दरों के कम होने का दौर शुरू होने वाला है. फेडरल रिजर्व ने कहा कि अब उसकी आक्रामक रेट पॉलिसी का दौर बीतने वाला है. उसके बाद टेक दिग्गज के शेयरों में तेजी देखी जा रही है.
ज्यादातर देशों की जीडीपी से बड़ा साइज
शेयरों की हालिया रैली से कंपनी का मार्केट कैप और बढ़ गया है और 3 ट्रिलियन डॉलर के पार निकल गया है. अभी गुरुवार की क्लोजिंग के हिसाब से एप्पल का मार्केट कैपिटलाइजेशन 3.08 ट्रिलियन डॉलर है, जो ज्यादातर देशों की जीडीपी से ज्यादा है. अभी दुनिया में सिर्फ 6 देश हैं, जिनकी जीडीपी 3 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा है. ये छह देश हैं- अमेरिका, चीन, जापान, जर्मनी, भारत और ब्रिटेन.
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