WPI Inflation: दिसंबर के महीने में खाने-पीने की चीजों के दाम कम होने का असर थोक महंगाई दर पर नहीं देखा गया. दिसंबर में थोक महंगाई दर बढ़कर 0.73 फीसदी पर आ गई है जो कि इससे पिछले महीने यानी नवंबर 2023 में 0.26 फीसदी पर रही थी. थोक महंगाई दर का ये आंकड़ा पिछले 9 महीने का सबसे उच्च स्तर है. वाणिज्य मंत्रालय ने आज दोपहर ये आंकड़ा जारी किया है. थोक महंगाई दर आधारित सूचकांक या थोक महंगाई दर नंवबर में 0.26 फीसदी पर थी जबकि पिछले साल दिसंबर 2022 में ये 5.02 फीसदी पर रही थी.


डिफ्लेशन जोन से बाहर निकल रही थोक महंगाई दर


ये लगातार दूसरा महीना है जब थोक महंगाई दर शून्य से ऊपर के स्तर पर आई है. हालांकि साल 2023-24 के अब तक के आंकड़े को देखें तो ये डिफ्लेशन जोन यानी -1.1 फीसदी के दायरे में रही है.


WPI महंगाई दर के तीन मुख्य समूहों की महंगाई दर में गिरावट दर्ज की गई है. अगर इनके आधार पर देखें तो-


प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर में 2.1 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. (MoM)


फ्यूल एंड पावर प्राइस इंडेक्स में 0.71 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. (MoM)


मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स के प्राइस इंडेक्स में 0.21 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है. (MoM)


इसके नतीजे के तौर पर सभी कमोडिटी इंडेक्स में 0.85 फीसदी की गिरावट पिछले महीने के मुकाबले दर्ज की गई है. 


खाद्य महंगाई दर में भी दिखी गिरावट


नवंबर के मुकाबले खाने-पीने की चीजों के दाम में भी 1.78 फीसदी की गिरावट इसके पिछले महीने यानी नवंबर के मुकाबले देखी गई है. इसकी मुख्य वजह सब्जियों के दाम में कमी, फल, अंडा, मांस और मछली के अलावा दालों के दाम में भी कटौती की रही है.


रिटेल इंफ्लेशन रेट में भी दिखा था इजाफा


हालांकि दिसंबर महीने में खुदरा महंगाई दर में बढ़ोतरी देखी गई थी और रिटेल इंफ्लेशन रेट 5.69 फीसदी पर रही थी. ये बढ़ोतरी मुख्य रूप से खाद्य वस्तुओं की कीमतों में उछाल के चलते देखी जाने की बात कही गई है.


वित्तीय एक्सपर्ट का क्या है कहना


केयरएज रेटिंग्स (CareEdge Ratings) की चीफ इकोनॉमिस्ट रजनी सिन्हा का थोक महंगाई दर पर कहना है कि दिसंबर में लगातार दूसरे महीने थोक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई दर पॉजिटिव क्षेत्र में बनी हुई है.  हालांकि पावर और फ्यूल के साथ साथ मैन्यूफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स यानी दोनों मेन कैटेगरी में डिफ्लेशन यानी अपस्फीति जारी रही है.


थोक खाद्य महंगाई दर में बढ़ोतरी के कारण कुल महंगाई दर में इजाफा देखा गया है. लगातार बढ़ते आधार पर खान-पान सहित सभी कैटेगरी में व्यापक संकुचन देखा गया है. सपोर्टिव बेस के गायब होने के बावजूद, ग्लोबल कमोडिटी के रेट में लगातार कमी के साथ इस वित्तीय वर्ष की बाकी बचे समय के लिए WPI महंगाई दर 1 फीसदी के आसपास रहने की उम्मीद है. हालांकि, खरीफ की फसल को लेकर अनिश्चितता, रबी की बुआई की प्रोग्रेस, मिडिल-ईस्ट में जियो पॉलिटिकल तनाव और वैश्विक विकास की स्पीड को प्रमुखता से निगरानी योग्य फैक्टर के तौर पर देखा जा रहा है.


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