Wholesale Inflation: त्योहारों से पहले तोहफा, सितंबर में भी शून्य से नीचे रही थोक महंगाई, कीमतें और हो गईं नरम
WPI Inflation September 2023: सितंबर महीने के दौरान थोक महंगाई एक बार फिर से शून्य से नीचे रही है. थोक महंगाई लगातार छह महीने से निगेटिव जोन में है...
महंगाई के मोर्चे पर लगातार राहत भरी खबरें आ रही हैं. खुदरा महंगाई के बाद अब थोक महंगाई के आंकड़ों ने भी त्योहारों से पहले लोगों को तोहफा दिया है. आंकड़ों के अनुसार, सितंबर महीने के दौरान कीमतों में और गिरावट दर्ज की गई है. इसके साथ ही थोक महंगाई की दर लगातार छठे महीने शून्य से कम रही है.
इतनी कम हुईं थोक कीमतें
सोमवार को जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सितंबर महीने के दौरान थोग महंगाई की दर -0.26 फीसदी यानी शून्य से 0.26 फीसदी नीचे रही है. यह बताता है कि सितंबर महीने के दौरान थोक स्तर पर कीमतों में 0.26 फीसदी की गिरावट आई है. इससे पहले अगस्त महीने के दौरान थोक महंगाई की दर शून्य से 0.52 फीसदी नीचे रही थी. देश में थोक महंगाई की दर अप्रैल 2023 से लगातार शून्य से नीचे है.
प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सितंबर महीने के दौरान प्राइमरी आर्टिकल्स की कीमतों में अच्छी-खासी नरमी देखी गई. इस कैटेगरी में महंगाई की दर जुलाई में 8.24 फीसदी पर पहुंच गई थी. उसके बाद अगस्त में कमी आई थी और दर 6.34 फीसदी पर आ गई थी. अब सितंबर में प्राइमरी आर्टिकल्स की महंगाई दर और कम होकर 3.70 फीसदी रह गई है.
ईंधन और बिजली में भी नरमी
ईंधन और बिजली के मामले में थोक महंगाई कम होकर 3.35 फीसदी पर आ गई, जो इससे पहले जुलाई और अगस्त में क्रमश: 12.73 फीसदी और 6.03 फीसदी रही थी. वहीं विनिर्मित वस्तुओं के मामले में कीमतों में 1.34 फीसदी की गिरावट आई. विनिर्मित वस्तुओं की कीमतों में इससे पहले जुलाई में 2.58 फीसदी की और अगस्त में 2.37 फीसदी की गिरावट आई थी.
किसे कहते हैं डिफ्लेशन
ओवरऑल देखें तो सितंबर महीने के दौरान अपस्फीति यानी डिफ्लेशन की स्थिति बरकरार रही. डिफ्लेशन की स्थिति तब कही जाती है, जब महंगाई दर शून्य से कम रहती है. महंगाई दर के शून्य से नीचे रहने का मतलब कीमतों में गिरावट आना और शून्य से ऊपर रहने का मतलब कीमतों में बढ़ोतरी होना है.
इतनी कम हुई खुदरा महंगाई
इससे पहले पिछले सप्ताह के दौरान खुदरा महंगाई यानी सीपीआई आधारित मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी हुए थे. सितंबर महीने में खुदरा महंगाई कम होकर 5.02 फीसदी रही, जो तीन महीने में सबसे कम है. अगस्त में खुदरा महंगाई 6.83 फीसदी रही थी. इस तरह से खुदरा महंगाई एक बार फिर से रिजर्व बैंक के टॉलरेंस लेवल के दायरे में आ चुकी है.
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