YEAR ENDER 2017: जानें साल भर निवेशकों ने म्यूचुअल फंड में कितना लगाया पैसा
इसके पीछे अहम वजह इंड्स्ट्री की तरफ से चलाया जा रहा बेहतर प्रचार अभियान और नोटबंदी के बाद फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स का दोबारा चलन में लौटना रहा है.
नई दिल्लीः साल 2017 म्यूचुअल फंड इंवेस्टमेंट के लिहाज से एक बेहतरीन साल रहा. इस दौरान म्यूचुअल फंड के तहत कैपिटल मैनेजमेंट में छह लाख करोड़ रुपये की बढ़त हुई. इस साल नवंबर आखिर तक यह 23 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया. म्यूचुअल फंड की तरफ निवेशकों का रुख नए साल में भी बने रहने की उम्मीद है.
क्या रही वजह इसके पीछे अहम वजह इंड्स्ट्री की तरफ से चलाया जा रहा बेहतर प्रचार अभियान और नोटबंदी के बाद फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स का दोबारा चलन में लौटना रहा है.
नवंबर अंत तक कुल म्यूचुअल फंड बेस 23 लाख करोड़ रुपये
साल 2017 के अंत तक म्यूचुअल फंड के एएमयू (एसेट मैनेजमेंट) संपत्ति आधार 40 फीसदी ऊंचा रहने की उम्मीद की जा रही है. नवंबर अंत तक कुल म्यूचुअल फंड बेस 23 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया जो कि दिसंबर 2016 में 16.46 लाख करोड़ रुपये पर था.
म्यूचुअल फंड कंपनियों को नए साल में भी इस क्षेत्र में ‘व्यापक’ इंवेस्टमेंट होने की उम्मीद है क्योंकि अभी देश में म्यूचुअल फंड तक बहुत कम लोगों की पहुंच है. इसके अलावा बाजार नियामक सेबी के सुधारवादी कदम से भी इसमें मदद मिलेगी.
फ्रैंकलिन टेंपलटन इंवेस्टमेंट इंडिया के अध्यक्ष संजय सप्रे ने कहा,
- ‘‘भारत में कम लोगों तक म्यूचुअल फंड की पहुंच, वित्तीय साक्षरता में बढ़ोत्तरी और लॉन्ग टर्म के लिए कैपिटल मेकिंग के अन्य विकल्पों की गैर-मौजूदगी से इस क्षेत्र में बढ़त की तमाम संभावनाएं हैं.’’
- इसके अलावा जनधन, आधार और मोबाइल बैंकिंग के साथ भुगतान के लिए अपने ग्राहक को जानो (केवाईसी) जैसी तकनीकों को लागू करने से भी इस क्षेत्र में बढ़त होगी. इससे देशभर में ना केवल इसका वितरण बेहतर करने में मदद मिलेगी बल्कि इंवेस्टमेंट की लागत भी कम होगी.
- पिछले साल आठ नवंबर को नोटबंदी के बाद बैंकों ने ब्याज दरों को कम किया. इससे बेहतर इंवेस्टमेंट विकल्पों के अभाव की वजह से भी म्यूचुअल फंड में इंवेस्टमेंट बढ़ा है.
- फिक्स्ड डिपॉजिट जैसे पारंपरिक इंवेस्टमेंट विकल्पों की ब्याज दर घटने, रियल एस्टेट और सोने जैसे अन्य विकल्पों के खराब प्रदर्शन के चलते भी इस सेक्टर में इंवेस्टमेंट बढ़ा है.