नई दिल्लीः साल 2018 खत्म होने को है और 2019 दस्तक दे रहा है. ये साल आर्थिक लिहाज से काफी महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि टैक्स नियमों से लेकर पैन कार्ड तक, आधार कार्ड से लेकर म्यूचुअल फंड तक और एनपीएस से लेकर शेयर मार्केट तक में कई नियम बदले हैं जिनका आपकी जिंदगी पर बड़ा असर हो रहा है. इस साल आर्थिक जगत में कौन कौन से नियम बदले हैं इसकी सारी जानकारी आपको यहां मिल पाएगी.


पैन कार्ड से जुड़े ये नियम बदले गए
ये साल पैन कार्ड को लेकर हरकत भरा रहा. पैन कार्ड को लेकर इस साल नियमों में 2 बार बदलाव किए गए. 2018 में पैन कार्ड की अर्जी देने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए ये आदेश दिया कि जिसके पास भी 1 जुलाई 2017 तक पैन नंबर है उसे इसे आधार से लिंक करना जरूरी होगा. 31 मार्च 2019 इसके लिए आखिरी तारीख तय की गई है.


5 दिसंबर को लागू किए गए नियमों में पहले पैन कार्ड में ट्रांसजेंडर का ऑप्शन जोड़ा जा चुका है. वहीं एक और फैसला किया गया जिसके तहत माता-पिता के अलग होने के हालात में पिता का नाम देना पैन कार्ड की अर्जी में जरूरी नहीं रह गया है. यानी सिंगल मदर के बच्चों को पैन कार्ड में अपने पिता का नाम देना अनिवार्य नहीं होगा. ये एक काफी अच्छा नियम बनाया गया है जिससे एप्लीकेशन देने वालों को काफी आसानी होगी.


इसके अलावा अब विदेश में पैसा भेजने पर पैन कार्ड नंबर देना जरूरी कर दिया गया है.


आईटीआर और इनकम टैक्स से जुड़े ये नियम बदले
इनकम टैक्स रिटर्न को देर से फाइल करने पर पेनल्टी का नियम साल 2018 में ही तय किया गया. नए नियमों के मुताबिक देरी से इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने वालों पर 10,000 रुपये तक की पेनल्टी या फाइन लग सकता है. छोटे टैक्स पेयर्स के लिए 1 हजार रुपये की पेनल्टी का नियम बनाया गया है.


अगर आपसे इनकम टैक्स रिटर्न भरने में गलती हो जाती है तो इसको ठीक करने के लिए अगले साल की 31 मार्च तक का ही वक्त आपको मिल पाएगा. पहले के नियमों के मुताबिक करदाता को रिटर्न सही करवाने के लिए 2 साल तक का वक्त मिलता था.


अब सीनियर सिटीजन के लिए 50 हजार तक के ब्याज पर कोई टीडीएस नहीं काटा जाएगा. इसके लिए सरकार ने इनकम टैक्स एक्ट में 80टीटीटीबी नाम का नया सेक्शन जोड़ा है. इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय ये डिडक्शन मौजूद रहेगा और इसका फायदा सीनियर सिटीजन्स को मिलेगा.


बजट में हुए बदलाव
बजट 2018 में नौकरीपेशा लोगों के लिए एक बड़ा बदलाव किया गया जिसके तहत अब स्टैंडर्ड डिडक्शन को मेडिकल और ट्रांसपोर्ट अलाउंसेस की जगह लाया गया. इसके तहत 40 हजार रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा और इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय इसका दावा किया जा सकता है.


डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स
इस साल के बजट में इक्विटी म्यूचुअल फंड पर डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन टैक्स भी लगाया गया है. इसके लिए 1 अप्रैल 2018 की तारीख तय की गई थी और इस तारीख से इक्विटी म्यूचुअल फंड पर के डिविडेंड पर 10 प्रतिशत टैक्स लगना शुरू हो चुका है.
बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स का प्रस्ताव किया गया. इक्विटी और इक्विटी बेस्ड म्यूचुअल फंड के बेचने पर 1 लाख रुपये से ऊपर के फायदे पर 10 फीसदी टैक्स का प्रोविजन किया गया. ये तभी लागू होता है जब आप 1 साल बाद इक्विटी और इक्विटी बेस्ड म्यूचुअल फंड बेचते हैं.


सेस में भी हुई बढ़ोतरी
1 अप्रैल 2018 से टैक्स पेमेंट पर सेस को 3 फीसदी से बढ़कर 4 फीसदी किया गया. यानी इसमें 1 फीसदी की बढ़त कर दी गई. इसके तहत एजुकेशन सेस 0.5 फीसदी और हेल्थ सेस 0.5 फीसदी लगाया गया.


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