Flashback 2023: साल 2023 अब समाप्ति की ओर है. यह साल निवेशकों के लिए बहुत अच्छा रहा. ढेर सारे कमाऊ आईपीओ आए. महंगाई के मुद्दे पर शांति रही और जीडीपी के आंकड़े भी काफी अच्छे रहे. गुजरता हुआ यह साल आने वाले साल 2024 के लिए बहुत अच्छे संकेत छोड़कर जा रहा है. इस दौरान बैंकिंग सेक्टर में भी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कई फैसले लिए. इनमें से 4 सबसे ज्यादा चर्चा में रहे, जिन्होंने बैंकिंग सेक्टर की दिशा बदलकर रख दी. आइए एक नजर इन्हीं बड़े फैसलों पर डाल लेते हैं. 


2000 रुपये के नोट का अंत 


आरबीआई ने नोटबंदी के दौरान लाए गए 2000 के नोटों को इस साल सिस्टम से बाहर कर दिया. केंद्रीय बैंक ने 19 मई को इनको हटाने का फैसला लिया. हालांकि, नोटबंदी की तरह इन्हें यकायक नहीं बंद किया गया. लोगों को 2000 के नोट बैंक में जमा करने के लिए 4 महीने का समय दिया गया था. इसके चलते आसानी से यह नोट बैंकिंग सिस्टम से हटाया जा सका.


पर्सनल लोन जैसे असुरक्षित कर्ज पर की चोट 


आरबीआई ने नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (NBFC) को पहले तो पर्सनल लोन की बढ़ती संख्या को लेकर चेताया. फिर कार्रवाई करते हुए असुरक्षित कर्जों पर रिस्क वेट बढ़ा दिया. एनबीएफसी के लिए रिस्क वेट 100 से बढ़ाकर 125 कर दिया गया. इसके चलते एनबीएफसी के कारोबार पर बुरा असर पड़ा. 


यूपीआई से ट्रांजेक्शन लिमिट में किया गया इजाफा 


आरबीआई ने वित्तीय सेवाओं में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए यूपीआई (Unified Payment Interface) की ट्रांजेक्शन लिमिट बढ़ा दी गई. शिक्षण संस्थानों और हॉस्पिटलों के लिए यूपीआई ट्रांजेक्शन की लिमिट एक लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई.


रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं 


इसके अलावा आरबीआई ने दिसंबर में मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए रेपो रेट को 6.5 फीसदी पर बरकरार रखा. आरबीआई ने पांचवीं बार लगातार रेपो रेट को स्थिर रखा है. साल 2023 में में सिर्फ फरवरी, 2023 में रेपो रेट को बढ़ाया था. इसके चलते इकोनॉमिक मोर्चे पर स्थिरता बनी रही और ज्यादा उथलपुथल हुई.


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