(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
YearEnder Indian Bond Market: 200 लाख करोड़ के पार निकल गया भारत का बॉन्ड बाजार, 2024 में कैसा रहेगा हाल!
Indian Bond Market Outlook: भारतीय बॉन्ड बाजार का साइज पिछले कुछ सालों के दौरान तेजी से बढ़ा है और इस साल 200 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया है...
भारत में बॉन्ड बाजार में तेजी से विस्तार देखने को मिल रहा है. पिछले कुछ सालों में भारत के बॉन्ड बाजार का साइज कई गुना बढ़ा है. इस साल तो भारतीय बॉन्ड बाजार का आकार बढ़ते हुए 200 लाख करोड़ रुपये के पार निकल गया है.
5 सालों में डबल हो गया बाजार
सेबी और सीसीआईएल के आंकड़ों के अनुसार, भारतीय बाजार में आउटस्टैंडिंग बॉन्ड की टोटल वैल्यू 30 सितंबर 2023 तक 205.3 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई थी. बीते पांच सालों के दौरान भारतीय बॉन्ड बाजार का साइज लगभग डबल हो गया है. भारतीय बाजार में आउटस्टैंडिंग बॉन्ड की टोटल वैल्यू वत्त वर्ष 2017-18 में 108.8 लाख करोड़ रुपये थी, जो अभी 205 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है. वित्त वर्ष 2017-18 से 2022-23 के दौरान 5 सालों में साइज 77 फीसदी से ज्यादा बढ़कर 192.4 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया था.
टोटल बॉन्ड मार्केट में सरकारी बॉन्ड का हिस्सा
भारतीय बॉन्ड बाजार में अभी सबसे ज्यादा हिस्सेदारी सरकारी बॉन्ड की है. सरकारी बॉन्ड की हिस्सेदारी पूरे बॉन्ड बाजार में दो-तिहाई से भी ज्यादा है. अभी सरकारी बॉन्ड की टोटल वैल्यू 161.1 लाख करोड़ रुपये है, जो टोटल आउटस्टैंडिंग बॉन्ड के 78 फीसदी के बराबर है. बाकी हिस्सा कॉरपोरेट बॉन्ड के पास है. टोटल बॉन्ड मार्केट में कॉरपोरेट बॉन्ड का हिस्सा 44.2 लाख करोड़ रुपये यानी 22 फीसदी के बराबर है.
सरकारी बॉन्ड ने की ज्यादा ग्रोथ
हालिया सालों में गवर्नमेंट बॉन्ड की ग्रोथ ज्यादा रही है. पिछले पांच सालों के दौरान सरकारी बॉन्ड का साइज बाजार के 77 पर्सेंट की तुलना में 85 फीसदी बढ़ा है. जबकि इस दौरान कॉरपोरेट बॉन्ड के साइज में 53 फीसदी की बढ़ोतरी देखी गई है. कॉरपोरेट बॉन्ड की धीमी ग्रोथ का मुख्य कारण 2018 से 2021 के दौरान का क्रेडिट क्राइसिस है, जिसमें कई डिफॉल्ट खासकर एनबीएफसी डिफॉल्ट रिकॉर्ड किए गए थे.
इस कारण पसंद आते हैं बॉन्ड
बॉन्ड मार्केट को फिक्स्ड इनकम मार्केट भी कहा जाता है. इन्हें नियमित अंतराल पर कमाई सुनिश्चित करने वाला निवेश माना जाता है. बॉन्ड नियमित अंतराल पर रिटर्न ऑफर करते हैं. ऐसे में बॉन्ड उन निवेशकों की पसंद बन जाते हैं, जो कम रिस्क उठाना पसंद करते हैं और तय इनकम की तलाश करते हैं. इक्विटी की तुलना में बॉन्ड में कम रिस्क होता है.
अगले साल के लिए ऐसा आउटलुक
बॉन्ड की यील्ड रेट से रिलेट करती है. अगर ब्याज दरें ज्यादा हैं तो बॉन्ड से अच्छी कमाई होती है. अभी रिजर्व बैंक ने फरवरी 2023 के बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है. हालांकि इस बात के संकेत मिल चुके हैं कि ब्याज दरों के बढ़ने का दौर थम चुका है और ब्याज दरें फिलहाल अपने शीर्ष स्तर पर चल रही हैं. अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने नए साल में दरें कम करने का साफ संकेत दिया है. घरेलू मोर्चे पर महंगाई नरम होती दिख रही है. ऐसे में रिजर्व बैंक भी ब्याज दरें कम करने की राह पकड़ सकता है. अगर ऐसा होता है तो अगले साल बॉन्ड बाजार की ग्रोथ कुछ सुस्त पड़ सकती है.
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