नई दिल्ली: जैसे ही आरबीआई ने यस बैंक को अपने नियंत्रण में लिया और खाताधारकों पर 50 हज़ार रुपये तक ही निकालने की रोक लगायी तो सरकार और विपक्ष के बीच आरोप प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है.

कांग्रेस ने कहा, ऐसे हालात क्यों पैदा होने दिए कि खाताधारक अपने ही पैसे नहीं निकाल पाएं जबकि मई 2019 में ही आरबीआई के एक सदस्य यस बैंक के बोर्ड पर आ गए थे लेकिन कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए. इसके साथ ही कांग्रेस के प्रवक्ता से लेकर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी यस बैंक के हालात पर सरकार को कटघरे में खड़ा किया.

आज सुबह जैसे ही मार्केट खुला तो यस बैंक के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली. दोपहर तक लगभग 74  फीसदी शेयर गिर चुके थे. कांग्रेस सरकार को दोषी ठहरा ही रही थी. साथ ही दूसरी विपक्षी पार्टियों ने भी यस बैंक और उनके मालिकों से सवाल पूछे. असदुद्दीन औवेसी ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, आज भी एक समिट में प्रधानमंत्री मोदी जाने वाले है, जिसको यस बैंक स्पॉन्सर कर रहा है. अगर जनता को देने के लिए पैसे नहीं हैं तो यह स्पॉन्सर का पैसा कहां से आ रहा है.

वहीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा , मैं रिज़र्व बैक के सम्पर्क में हूँ सभी लोगों का पैसा सुरक्षित है. लेकिन साथ ही वित्त मंत्री ने इन तमाम परिस्थितियों के लिए यूपीए सरकार को दोषी ठहराया, तो कांग्रेस ने यस बैंक के पिछले 6 साल के क्ष्रण का लेखा जोखा सामने रख दिया.

कांग्रेस ने कहा , 2014 - 55000,  2015 - 75000, 2016 - 98000, 2017 - 1,32,000, 2018 - 2,03,000, 2019- 2,41,000 करोड़ का लोन यस बैंक को दिया गया. बहरहाल दोनों तरफ़ से आरोप प्रत्यारोप जारी है लेकिन जिन लोगों के पैसे यस बैंक में है उनके लिए अभी राहत नज़र नहीं आ रहीहै.

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