यस बैंक ने आरबीआई के 50 हजार करोड़ रुपये लौटा दिए हैं. इसके सात ही बैंक ने यह साफ कर दिया है कि इसके सबसे बड़े शेयरहोल्डर एसबीआई के साथ इसका विलय नहीं होगा. यस बैंक ने स्पेशल लिक्विडिटी फैसिलिटी (SLF) के तहत आरबीआई से ये पैसे लिए थे.
यस बैंक ने कहा, खुशी है कि वक्त से पहले पैसा लौटा दिया
यस बैंक के चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा कि आरबीआई का पूरा पैसा वक्त से पहले चुका दिया गया. मेहता ने कहा कि उन्हें यह ऐलान करते हुए खुशी हो रही है कि एसएलएफ के तहत लिया गया पूरा पैसा वक्त से पहले चुका दिया गया. यस बैंक ने आरबीआई से उस वक्त पैसे लिए थे, जब उसे लग रहा था कि डिपोजिटर तेजी से अपना पैसा निकाल सकते हैं.इस बीच यस बैंक एफपीओ के जरिये निवेशकों से 15 हजार करोड़ रुपये जुटा चुका था.
'शेयरों को बेचने पर रोक शेयरहोल्डर्स के हित में'
चेयरमैन सुनील मेहता ने कहा कि यस बैंक का एसबीआई के साथ विलय नहीं होने जा रहा. ऐसे किसी मामले पर ना तो बैंक ने और ना ही अथॉरिटी ने कोई चर्चा की है. कुछ निवेशकों ने इस बात पर भी चिंता जताई कि बैंक के रीकंस्ट्रक्शन के बाद 25 फीसदी से ज्यादा शेयर बेचने पर तीन साल की रोक लगा दी गई है. इस पर बैंक के एमडी और सीईओ प्रशांत कुमार ने कहा कि शेयरों के बेचने पर तीन साल तक रोक लगाना शेयर होल्डर्स के पक्ष में है. प्रशांत कुमार ने कहा कि बैंक ने पहली तिमाही में अपना खर्च 20 फीसदी घटाने में कामयाब रही है. इसके साथ ही बैंक के कामकाज को देखने के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति भी की गई है.
इस साल में मार्च में सरकार और आरबीआई ने यस बैंक के पूरे बोर्ड को बदल दिया था. इसके साथ ही डिपोजिटरों को बैंक से कुछ दिनों के लिए पैसा निकालने से रोक दिया गया था. इसके बाद नई मैनेजमेंट टीम बनाई गई और तमाम पाबंदियां हटा ली गईं. पाबंदियां खत्म होने के बाद लोग बैंक से पैसा निकालने लगे थे, जबकि डिपोजिट नहीं हो रहा था. ऐसे में बैंक पेमेंट पर डिफॉल्ट ना करे इसलिए RBI ने यस बैंक को स्पेशल लिक्विडिटी फैसिलिटी के तहत 50,000 करोड़ रुपये का फंड दिया था.
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