आप यदि नौकरीपेशा व्यक्ति हैं और आयकर देते हैं तो कुछ इंवेस्टमेंट के जरिए इसमें बचत कर सकते हैं. आपकी सैलरी में कन्वेंस चार्ज, फूड कूपन या फिर किसी स्पेशल अलाउंस का रिम्बर्समेंट यानी कंपनी की ओर से भुगतान नहीं होता तो आप उसे शुरू करवा सकते हैं. इसके साथ ही एनपीएस जैसी स्कीम में निवेश से भी बचत में मदद मिलेगी.
टैक्स बचाने के लिए आपको अपनी कंपनी से कुछ अलाउंस शुरू करवाने होंगे. आप इसके लिए खर्च पर रिम्बर्समेंट ले सकते हैं .फोन, अखबार और गैजेट आदि का खर्च इसमें शामिल किया सकता है. इसके अलावा एनपीएस में निवेश से सेक्शन 80CCD(2) के तहत टैक्स में छूट मिलती है. इन फैसलों से आप टैक्स में 60 हजार तक की छूट पा सकते हैं.
घर के किराये से टैक्स की बचत
आप यदि किराये के घर में रहते हैं और एचआरए आपकी सैलरी का कंपोनेट नहीं है तो आप टैक्स में छूट के लिए क्लेम नहीं कर पाएंगे. यहां कंपोनेट का मतलब रिम्बर्समेंट से है. लेकिन आप अपनी कंपनी से एचआरए रिम्बर्समेंट करवाते हैं तो किराये के आधार पर सेक्शन 80GG के तहत आप 5,000 रुपये हर का टैक्स क्लेम कर सकते हैं. इससे आपकी टैक्स देनदारी में 12,500 रुपये तक कमी आएगी.
इंश्योरेंस के प्रीमियम पर छूट
हेल्थ इंश्योरेंस प्लान खरीदने पर भी आपको टैक्स में छूट मिलती है. पॉलिसी का प्रीमियम यदि 25,000 रुपये है तो आपको 1,500 रुपये तक टैक्स में छूट मिल सकती है. आपका प्रीमियम इससे कम है तो आप उसे बढ़ाकर 25 हजार रुपये तक कर सकते हैं जिससे टैक्स छूट का ज्यादा फायदा मिल सके.
एनपीएस में निवेश करने पर टैक्स में छूट
यदि आपको स्पेशल अलाउंस के तौर ज्यादा रुपये मिलते हैं तो आप कंपनी से बात करके इस कम करवा सकते हैं. आप अपनी कंपनी से इसकी बजाए 12 हजार रुपये टेलीफोन अलाउंस और 12 हजार रुपये न्यूजपेपर ले सकते हैं. इनके खर्च का बिल जमा कराने पर ये टैक्स टैक्स फ्री खर्च के दायरे में आ जाएंगे. इसके अलावा आप अपनी बेसिक सैलरी की 10 फीसदी राशि नेशनल पेंशन स्कीम (एनपीएस) में जमा कर सकते हैं. एनपीएस में निवेश पर भी टैक्स में छूट मिलती है.
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