महंगे ब्याज दरों और ज्यादा ईएमआई से परेशान लोगों के लिए राहत मिलने का इंतजार लंबा होता जा रहा है. लगभग डेढ़ साल से ब्याज दरें उच्च स्तर पर स्थिर हैं. आरबीआई ने इस महीने हुई बैठक में भी दरों को स्थिर रखा है. हालांकि अब ऐसे हालात बनने लगे हैं कि जल्दी ही महंगे ब्याज से छुटकारे की शुरुआत हो सकती है.


महंगाई ने महंगा किया ब्याज


कोरोना महामारी के बाद दुनिया के अन्य देशों समेत भारत में भी ब्याज दरें निचले स्तर पर आ गई थीं. हालांकि उसके बाद बेकाबू हुई महंगाई ने केंद्रीय बैंकों को रणनीति बदलने पर मजबूर कर दिया. अमेरिकी सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व के द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने के बाद रिजर्व बैंक ने मई 2022 में एमपीसी की आपात बैठक बुलाई और रेपो रेट को बढ़ाने का निर्णय किया. उसके बाद लगातार रेपो रेट को बढ़ाया गया.


डेढ़ साल पहले हुआ था बदलाव


रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में आखिरी बार फरवरी 2023 की बैठक में बदलाव किया था. उस बैठक में रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5 फीसदी कर दिया था. उसके बाद से अब तक रेपो रेट 6.5 फीसदी पर स्थिर है. रेपो रेट के बढ़ने के साथ ही फ्लोटिंग ब्याज दर वाले लोन जैसे होम लोन आदि की ईएमआई बढ़ने लग गई. वहीं दूसरी ओर कार लोन से लेकर पर्सनल लोन समेत सारे नए लोन महंगे हो गए. लोग लंबे समय से इसमें राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन रिजर्व बैंक महंगाई का हवाला देकर रेपो रेट को कम नहीं कर रहा है.


ये दो कारण करते हैं प्रभावित


रिजर्व बैंक रेपो रेट पर दो कारणों से फैसला लेता है. सबसे प्रमुख कारण है देश में महंगाई की स्थिति और दूसरा बड़ा फैक्टर है अमेरिकी सेंट्रल बैंक यानी फेडरल रिजर्व का रुख. अच्छी बात ये है कि रिजर्व बैंक के निर्णय को प्रभावित करने वाले दोनों फैक्टर अब धीरे-धीरे ब्याज दरों में कटौती के अनुकूल होने लग गए हैं.


साल भर में सबसे कम हुई महंगाई


महंगाई के मोर्चे पर हालिया महीने अच्छे साबित हुए हैं. इसी सप्ताह मई महीने की खुदरा महंगाई का आंकड़ा सामने आया. सरकारी आंकड़ों के अनुसार मई महीने में खुदरा महंगाई की दर कम होकर 4.75 फीसदी पर आ गई. यह साल भर में सबसे कम महंगाई है. उससे पहले अप्रैल महीने में खुदरा महंगाई कम होकर 4.83 फीसदी पर रही थी. खुदरा महंगाई की दर अभी भी रिजर्व बैंक के 4 फीसदी के लक्ष्य से बाहर ही है, लेकिन अच्छी बात है कि उसमें लगातार कमी आ रही है, जो रेपो रेट में कटौती के अनुकूल है.


4 से 6 महीने में मिलने लगेगी राहत


महीने की शुरुआत में रिजर्व बैंक की बैठक के बाद इस सप्ताह अमेरिकी फेडरल रिजर्व की भी नीतिगत बैठक हुई. यूएस फेड ने भी इस बैठक में ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन आने वाले दिनों के लिए उसने अच्छे संकेत जरूर दिए. फेडरल रिजर्व ने साफ संकेत दिया कि इस साल के अंत तक ब्याज दरों में कटौती की गुंजाइश बन रही है. इस साल फेडरल रिजर्व 1 से 2 बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. मतलब अक्टूबर से दिसंबर तक ब्याज दरों में कमी आने की शुरुआत हो सकती है. अगर फेडरल रिजर्व दरें कम करने की शुरुआत करता है तो रिजर्व बैंक भी उसकी राह पर चल सकता है.


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