SBI चीफ अरुंधति भट्टाचार्य की सैलरी जानते हैं आप? उनका वेतन सुन चौंक जाएंगे
नई दिल्ली: दुनिया के 50 सबसे बड़े बैंकों में शामिल और देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक अपने प्रमुख को जो सैलरी देता है वो जानकर आप निश्चित रूप से चौंक जाएंगे. नंबर 1 सरकारी बैंक एसबीआई चीफ को मिलने वाली सैलरी, नंबर एक प्राइवेट बैंक आईसीआईसीआई बैंक की चीफ को मिलने वाली सैलरी के सामने कुछ भी नहीं है. ये चौंकाने वाली बात आज सामने आई है.
विभिन्न बैंकों की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट बैंक की प्रमुख अरूंधति भट्टाचार्य को वित्त वर्ष 2016-17 में 28.96 लाख रुपये का सालाना वेतन पैकेज मिला. इसी दौरान आईसीआईसीआई बैंक की मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर को 2.66 करोड़ रुपये का मूल वेतन मिला. इतना ही नहीं अगले कुछ महीनों में उन्हें उनके प्रदर्शन का 2.2 करोड़ रुपये बोनस (परफॉर्मेंस बोनस) भी दिया जाएगा. निजी बैंक के टॉप अधिकारी के फायदों का सिलसिला यहीं तक नहीं है. इन सब के अलावा चंदा कोचर को भत्तों के तौर पर 2.43 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया और इस तरह उनका कुल वेतन 6.09 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है.
इस उदाहरण से आप साफ समझ सकते हैं कि जहां देश के नंबर एक सरकारी बैंक एसबीआई की चीफ को सालाना सैलरी 30 लाख रुपये से भी कम है वहीं देश के नंबर एक प्राइवेट बैंक के चीफ की सैलरी 6 करोड़ रुपये से ज्यादा है. अगर दूसरे लिहाज से देखें तो दोनों की सैलरी में 19 गुना का अंतर है. ये भारी अंतर बेहद चौंकाने वाला है.
एक और प्राइवेट बैंक एक्सिस बैंक की प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी शिखा शर्मा को वित्त वर्ष 2016-17 में 2.7 करोड़ रुपये का मूल वेतन मिला. इसके साथ उन्हें 1.35 करोड़ रुपये का वेरिएबल पे और 90 लाख रुपये के दूसरे भत्तों का पेमेंट किया गया.
एचडीएफसी बैंक के एमडी आदित्य पुरी को 10 करोड़ का वेतन इस दौरान मिला है. यही नहीं उनके पास 57 करोड़ रुपये से ज्यादा कीमत का स्टॉक ऑप्शन भी है.
पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन ने भी उठाया था कम सैलरी का मुद्दा भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने पिछले साल अगस्त में कम वेतन के मुद्दे को उठाया था. यह सरकारी बैंकों के टॉप ऑफिशियल को आर्कषित करने के हिसाब से बेहद कम है. सरकारी बैंक अपने निचले पद के अधिकारियों को ज्यादा और टॉप अधिकारियों को कम वेतन देते हैं. उन्होंने कहा था कि इस वजह से सरकारी बैंक उच्च योग्यता रखने वाले लोगों को नौकरी नहीं दे पाते और उनमें टॉप लेवल पर सीधे नौकरी पाना भी मुश्किल होता है.
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