नई दिल्लीः निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है और उनकी पेंशन में बढ़ोतरी करने वाला फैसला दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने पेंशन से जुड़े केरल हाई कोर्ट के एक अहम फैसले को बरकरार रखा है और इस मामले में ईपीएफओ (भविष्‍य निधि संगठन) की याचिका को खारिज कर दिया है.


दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि निजी कर्मचारियों के पेंशन की कैलकुलेशन उनकी पूरी सैलरी के आधार पर हो जबकि फिलहाल ईपीएफओ 15,000 रुपये की बेसिक सैलरी की लिमिट के आधार पर पेंशन की कैलकुलेशन करता है. अदालत के इस फैसले से प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले एंप्लाइज की पेंशन में बढ़त का रास्ता साफ हो गया है. अब कर्मचारी और उनके एंप्लायर अगर चाहें तो कर्मचारी की असली आमदनी के आधार पर उसका पेंशन तय हो सकेगा.


क्या है पूरा मामला
ईपीएस की शुरुआत 1995 में की गई थी जिसके तहत नियम था कि एंप्लॉयई के 6500 तक के मूल वेतन का 8.33 फीसदी हिस्सा या ज्यादा से ज्यादा 541 रुपये प्रति महीना पेंशन स्कीम में डाला जाता था. इसके बाद 2014 से ईपीएफओ ने इसमें बदलाव किया और नया नियम लाया कि एंप्लाई के 15,000 तक के मूल वेतन का 8.33 फीसदी या अधिकतम 1250 रुपये प्रति महीना पेंशन स्कीम में डाला जाएगा. इसके बाद केरल हाईकोर्ट में इसके खिलाफ याचिकाएं दाखिल हुईं.


केरल हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि रिटायर होने वाले कर्मचारियों को उनकी आखिरी सैलरी के आधार पर पेंशन मिलनी चाहिए. हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद ईपीएफओ ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने 1 अप्रैल को ईपीएफओ की याचिका को खारिज कर दिया और केरल हाई कोर्ट फैसले को बरकरार रखा है. इसके बाद ईपीएफ के दायरे में आने वाले कर्मचारी आखिरी निकाली गई सैलरी के मुताबिक पेंशन हासिल कर सकेंगे.


क्या होगा नया फॉर्मूला
बताया जा रहा है कि अब रिटायर हो रहे कर्मचारियों को पेंशन इस फॉर्मूले के आधार पर मिलेगी. जैसे कर्मचारी के द्वारा की गई नौकरी में बिताए गए कुल वर्ष+2)/70xअंतिम सैलरी के आधार पर होगी. क्योंकि एंप्लॉयर पीएफ में जो 12% हिस्सा देती है उसमें से 8.33% हिस्सा यानी नियोक्ता के योगदान का करीब 70 फीसदी भाग पेंशन स्कीम (EPS) के लिए जाएगा. इसका अर्थ है कि एंप्लाइज को अब कई गुना बढ़ी हुई पेंशन मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा.


पीएफ फंड में होगी कमी लेकिन बढ़ेगी आपकी पेंशन
बता दें कि बेसिक वेतन का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जाता है और 12 प्रतिशत उसके नाम से एंप्लॉयर जमा करता है. कंपनी के 12 फीसदी योगदान में में 8.33 फीसदा हिस्सा पेंशन फंड में जाता है और बाकी 3.66 पीएफ में जाता है. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आपके प्रोविडेंट फंड में कमी आएगी क्योंकि क्योंकि अतिरिक्त योगदान ईपीएफ में जाने की जगह ईपीएस में जाएगा. अब पीएफ की जगह ईपीएस वाले फंड में ज्यादा हिस्सा जाने के इस नियम से आपकी पेंशन बढ़ जाएगी.


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कर्मचारियों को बड़ी राहत, पेंशन में बढ़ोतरी से जुड़े HC के आदेश को SC ने बरकरार रखा