Kaushik Basu: देश के पूर्व चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर (Chief Economic Advisor) डॉक्टर कौशिक बसु (Kaushik Basu) ने कहा है कि भारत में बेरोजगारी की दर पूरी दुनिया से ज्यादा है. उन्होंने सरकार से इस समस्या के समाधान पर तुरंत एक्शन लेने को कहा है. मगर, उनके इस दावे को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है. कई अर्थशास्त्रियों ने उनके दावे को गुमराह करने वाला तक बता दिया. 






सीएमआईई के आंकड़ों का दिया हवाला 


कौशिक बसु ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि एक थिंक टैंक सीएमआईई (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार, युवाओं में बेरोजगारी दर 45.4 फीसदी हो चुकी है. यह चिंताजनक है और हमें गहरा नुकसान पहुंचा सकती है. देश हित के लिए हमें राजनीति से हटकर बड़े सुधार लागू करने होंगे. कौशिक बसु फिलहाल कॉर्नेल यूनिवर्सिटी में इकोनॉमिक्स पढ़ाते हैं. बसु की यह पोस्ट सोशल मीडिया पर कई लोगों को पसंद नहीं आई और तुरंत ही उनके विरोध में कमेंट आने लगे. 


सोशल मीडिया पर यूजर्स ने लगा दी क्लास 


एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने CMIE के डेटा का ही हवाला देते हुए लिखा कि देश में 20 से 24 साल के युवाओं में बेरोजगारी की दर 45 फीसदी है. इसके अलावा 30 एवं उससे ज्यादा उम्र के लोगों में सिर्फ 2 फीसदी. यह प्रोपगेंडा की हद है. एक अन्य यूजर ने लिखा कि 20 से 24 साल के युवा पढ़ाई कर रहे होते हैं. इसका मतलब पढ़ने के बाद ज्यादातर लोगों को नौकरी मिल जा रही है. एक यूजर ने इसे अर्ध सत्य का दर्जा दे दिया. 


डेटा के साथ खिलवाड़ करना ठीक नहीं


एक अर्थशास्त्री डॉक्टर सुब्रतो रॉय ने इस पोस्ट पर लिखा कि क्या आप गंभीर हैं. इस तरह डेटा के साथ खिलवाड़ करना ठीक नहीं है. सीखने के लिए आप कभी बूढ़े नहीं होते हैं. अगर मिनिमम वेज बढ़ाए बिना भी सारी पोस्ट भरी हुई हैं तो बेरोजगारी कहां है. हमें वेतन की औसत बढ़ोतरी को समझना होगा.


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