भारत में सिविल एविएशन की नींव रखने का श्रेय जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा (JRD Tata) को जाता है. जेआरडी टाटा ने ही देश में पहले एयरलाइंस की स्थापना की थी. एयर इंडिया एयरलाइंस को दुनियाभर में पहचान दिलाने वाले शख्स का नाम है- जेआरडी टाटा. वह पहले व्यक्ति थे जिन्हें कर्मिशयल पायलट का लाइसेंस मिला था. यही नहीं जेआरडी टाटा भारत के एकमात्र उद्योगपति रहे जिन्हें भारत रत्न का सम्मान दिया गया. आज 29 जुलाई को उनकी 117वीं जयंती है.


जहांगीर रतनजी दादाभाई टाटा का जन्म 29 जुलाई 1903 में हुआ था. बताया जाता है कि 15 साल की उम्र में पहली बार वह फ्लाइट में बैठे थे. तभी उन्होंने यह तय कर लिया था कि वह इसी क्षेत्र में अपना करियर बनाएंगे. 24 साल की उम्र में उन्हें कमर्शियल पायलट का लाइसेंस मिल गया. साल 1930 में उन्होंने आगा खान कम्पटीशन में भाग लेने के लिए भारत से इंग्लैंड के बीच अकेले उड़ान भरी थी. इसके दो साल बाद 1932 में उन्होंने अपनी एयरलाइंस की स्थापना कर दी. टाटा एयरलाइंस ने पहली उड़ान कराची से मुंबई के लिए भरी थी.


25 साल तक एयर इंडिया के चेयरमैन रहें
इसी टाटा एयरलाइंस का बाद में नाम बदलकर एयर इंडिया रख दिया गया. 1946 में एयर इंडिया का राष्ट्रीयकरण हो गया. ये देश की पहली एयरलाइंस कंपनी थी. इसलिए देश में सिविल एविएशन की नींव रखने का श्रेय जेआरडी टाटा को जाता है. लेकिन जेआरडी टाटा का सफर एयरलाइंस इंडस्ट्री में यहीं खत्म नहीं होता है. साल 1953 में उन्हें एयर इंडिया का चेयरमैन बनाया गया. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उन्हें ये पदभार सौंपा था. इसके बाद टाटा अगले 25 साल तक एयर इंडिया के चेयरमैन रहें. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने एयर इंडिया को बुलंदियों पर पहुंचाया. दुनियाभर में एयर इंडिया की पहचान बनी.


एयर इंडिया को आज अपनी बेहतर सर्विस के लिए जाना जाता है. इसका श्रेय जेआरडी टाटा को ही जाता है. टाटा को एयर इंडिया से बहुत ही लगाव था. वह हर छोटी बड़ी चीज पर नजर रखते थे. विमान का समय पर पहुंचना, ग्राहकों को अच्छी सर्विस, ग्राहकों का खाना, कर्मचारियों का यूनिफॉर्म आदि चीजों का खास ध्यान रखते थे. यहां तक कि एक बार टाटा खुद फ्लाइट के बाथरूम में टॉयलेट पेपर चेक करने चले गए थे.