Ban On Paper Cup: गुजरात के शहर अहमदाबाद के नगर निगम ने शहर को साफ रखने के लिए एक कड़ा कदम उठाया है. गुजरात के अहमदाबाद में शुक्रवार (20 जनवरी) से पेपर कम में चाय परोसने को बैन कर दिया है. साफ है कि अब चाय प्लास्टिक और पेपर के कप में नहीं मिलेगी. अहमदाबाद के नगर निगम  ने शहर को साफ रखने के लिए इस अभियान को शुरू किया है. बता दें कि शहर में अब से प्लास्टिक कप के साथ ही कागज के कप में चाय नहीं मिलेगी. 


नगर निगम के इस फैसले का जो भी पालन नहीं करेगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. नगर निगम  सफाई के लिए काफी सख्त है. अहमदाबाद को साफ बनाने के लिए ऐसा फैसला लिया गया है. बता दें कि 10 दिन का नोटिस देने के बाद एएमसी चेकिंग की जाएगी. इस दौरान जो भी प्लास्टिक और कागज के कप में चाय को बेचता हुआ पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक नगर निगम ने यह फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि इस समय एक दिन में 20 लाख से ज्यादा प्लास्टिक और पेपर के कप कचरे में फेंके जाते हैं. 


शहर में जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है


दरअसल, शहर में ज्यादा संख्या में प्लास्टिक और कागज के कप का इस्तेमाल हो रहा है. इस इस्तेमाल कप को कचरे में फेंक दिया जाता है, जिसके वजह से कई बार ये कैचपिट में फंस जाते हैं. जिससे बरसात के दिनों में पानी पास नहीं होता है. बता दें कि पानी पास नहीं होने के कारण शहर में जलभराव की स्थिति पैदा हो जाती है. इस मामले को देखते हुए नगर निगम ने प्रतिबंध लगा दिया है. खबर के मुताबिक अगले 10 दिनों में एएमसी की ओर से इसकी जांच की जाएगी. इस दौरान मसालों को पैक करने वाले प्लास्टिक और कागज पर भी कार्रवाई की जाएगी. शहर को साफ करने के लिए नगर निगम साफ ने साफ कह दिया है कि प्लास्टिक, कागज के कप में चाय और कॉफी परोसने वाले के खिलाफ दुकानदारों की दुकानों को भी सील कर दिया जाएगा. अहमदाबाद नगर निगम  ने साफ कर दिया है कि अब से  शहर में सिर्फ मिट्टी या कांच के कप में ही चाय परोसी जाएगी. 


नगर निगम के इस फैसले से कुल्हड़ बनाने वाले खुश


बता दें की प्लास्टिक और पेपर कम को बंद किए जाने पर सबसे ज्यादा खुश कुल्हड़ बनाने वाले हैं. पिछले वर्ष ही राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने भी पेपर कप को लेकर पाबंदी का फैसला सुनाया थी. और अब गुजरात के शहर अहमदाबाद भी प्लास्टिक और पेपर के कप को बैन कर दिया है. इस फैसले से सबसे ज्यादा किसी को फायदा होगा तो वह हैं कुम्हार जाति के लोग जो मिट्टी के बर्तन बनाते है. इस फैसले के बाद अब मार्केट में मिट्टी से बने कुल्हड़ की मांग तेजी से बढ़ेगी और उनकी कमाई का जरिया भी मजबूत होगा. 


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