Chandigarh News: चंडीगढ़ में बीजेपी की तरफ से बड़ा फैसला लिया गया है. मतपत्रों को विकृत करने के आरोप में घिरे पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को बीजेपी ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ से हटा दिया है. ये फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब सुप्रीम कोर्ट में वोट कैंसिल करने का मामला पहुंच चुका है. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से कहा गया था कि किसी भी सूरत में लोकतंत्र की हत्या की अनुमति नहीं देगा और जिसके बाद अनिल मसीह को 19 फरवरी को कोर्ट के सामने पेश होने का फरमान सुनाया गया. 


अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ महासचिव के पद से हटाएं गए अनिल मसीह
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार रविवार देर शाम बीजेपी की तरफ से जो सूची जारी की गई उसमें  अनिल मसीह का नाम गायब मिला. अनिल मसीह 2021 से चंडीगढ़ बीजेपी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे. अब उनकी जगह बीजेपी के नए अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ में महासचिव का पद अब इस्तेखार अहमद को दिया गया है. आपको बता दें कि अनिल मसीह पर विपक्षी दलों ने बीजेपी के निर्देश पर मतपत्रों को नष्ट करने का आरोप लगाया है. जिसके बाद अब बीजेपी ने उन्हें पद से भी हटा दिया है.


बीजेपी प्रवक्ता ने बताई ये वजह
बीजेपी प्रवक्ता संजीव राणा की तरफ से कहा गया है कि उनकी पार्टी की तरफ से फैसला लिया गया है कि कोई भी मनोनीत पार्षद बीजेपी की चंडीगढ़ इकाई का सदस्य नहीं होगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा स्पष्ट तौर पर कहा कि इसकी कोई और वजह नहीं है. आपको बता दें कि चंडीगढ़ बीजेपी अध्यक्ष की तरफ से पदाधिकारियों के नामों की सूची जारी की गई है जिसमें अनिल मसीह का नाम नहीं है.


अनिल मसीह पर मतपत्रों से छेड़छाड़ का आरोप
आपको बता दें कि चंडीगढ़ मेयर के चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी मनोज सोनकर ने जीत दर्ज की थी. इस दौरान पीठासीन अधिकारी विपक्ष के निशाने पर आ गए, उनके ऊपर विपक्ष ने 8 मतपत्रों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है. जिसको उन्होंने अवैध घोषित कर दिया था. विपक्ष इस मामले को पहले हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट लेकर गया है.  


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