Punjab News: पंजाब की भगवंत मान सरकार में वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि हमारी सरकार ने हजारों करोड़ रुपये के फर्जी बिलिंग घोटाले का पर्दाफाश किया है. उन्होंने कहा कि सोने का कारोबार करने वाली दो फर्मों ने 860 करोड़ रुपये के जाली बिल बनाए, जबकि लोहे का कारोबार करने वाली 303 फर्मों ने 4044 करोड़ का जाली बिल तैयार किया. इसके अलावा, 68 फर्मों ने दूसरों के नाम पर पंजीकृत कर 533 करोड़ की फर्जी बिलिंग का धंधा किया.


वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा आज (शनिवार) पंजाब भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने बताया कि अमृतसर में एक फर्म ने सोने की बिक्री और खरीद के लिए 336 करोड़ रुपये के जाली बिल बनाए. लुधियाना की फर्म ने भी 424 करोड़ रुपए के जाली बिलों पर सोने की बिक्री-खरीद की. वित्त मंत्री ने कहा कि 303 फर्मों ने 4044 करोड़ के लोहे की जाली बिक्री-खरीद किया. 11 फर्में पंजाब के पास, 86 फर्में अन्य राज्यों के पास और 206 फर्में केंद्र सरकार के पास पंजीकृत हैं.


करोड़ों रुपये के फर्जी बिलिंग घोटाले का खुलासा


उन्होंने कहा कि केंद्र और पंजाब के पास पंजीकृत 217 फर्मों के पास 89.7 करोड़ रुपये का आईटीसी बकाया था. बकाये को केंद्र और राज्य सरकार ने रोक दिया है. उन्होंने कहा कुल 707 करोड़ रुपये की जाली आईटीसी का दावा किया गया. उन्होंने बताया कि राज्य के कर विभाग ने सभी 11 फर्मों का पंजीकरण रद्द या निलंबित कर कार्रवाई शुरू कर दी है, जबकि बाकी 206 फर्मों की सूची केंद्र सरकार को उपलब्ध करा दी गई है.


सोना-लोहा से जुड़ी फर्मों पर मंत्री ने लगाया आरोप


वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने दूसरों के नाम पर रजिस्ट्रेशन करवा कर फर्जी बिलिंग करने वाली 68 फर्मों के मामलों की भी जानकारी दी. उन्होंने बताया , "5 लोगों की पहचान कर लुधियाना में एफआईआर दर्ज करवाई गई है. मामले में 533 करोड़ की जाली बिलिंग पाई गई और करीब 100 करोड़ रुपये की जाली आईटीसी का दावा है." उन्होंने राज्य की ओर से कर चोरी को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों का जिक्र किया.


वित्त मंत्री ने कहा कि पंजाब में कर विभाग जीएसटी पंजीकरण को 'आधार' आधारित बायोमेट्रिक प्रमाणिकता से जोड़ रहा है. अब दूसरों के नाम पर पंजीकरण करवाने वाले लोगों को समय पर पकड़ा जा सकेगा. उन्होंने कहा कि टैक्स इंटेलिजेंस यूनिट (टीआईयू) और स्टेट इंटेलिजेंस एंड प्रिवेंटिव यूनिट (एसआईपीयू) की स्थापना जैसी पहल से मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार ने जीएसटी संग्रह में 13 प्रतिशत से अधिक वृद्धि दर को सुनिश्चित करने का काम किया, जबकि पिछली सरकार में मात्र 6 प्रतिशत तक वृद्धि दर सीमित थी. 


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