Hyderabad News: डॉक्टर ने इलाज के बहाने मरीज का किया था यौन उत्पीड़न, कोर्ट ने 10 साल की सुनाई सजा, जुर्माना भी लगाया
Hyderabad की एक अदालत ने एक डॉक्टर को महिला मरीज के यौन उत्पीड़न का दोषी ठहराते हुए 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है. कोर्ट ने दोषी डॉक्टर पर 5 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.
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Hyderabad Crime News: हैदराबाद की एक अदालत ने एक नजीर पेश करते हुए बुधवार को छह साल पहले एक महिला मरीज के यौन उत्पीड़न के आरोप में एक डॉक्टर को 10 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई. गौरतलब है कि कोर्ट ने सिकंदराबाद में अपने अस्पताल में 54 वर्षीय मरीज का यौन उत्पीड़न करने का दोषी ठहराते हुए डॉक्टर पर 5,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया.
पीड़िता ने 2016 में डॉक्टर के खिलाफ दर्ज कराई थी शिकायत
घटना 2016 में की है. पीड़िता की शिकायत पर गोपालपुरम पुलिस स्टेशन में पल्मोनोलॉजिस्ट बी विजय भास्कर के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. पीड़िता की शिकायत पर डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था. लेकिन पुलिस ने आरोपी डॉक्टर के खिलाफ सुबूत जुटाकर कोर्ट में पेश किए थे. जिसके बाद डॉक्टर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 376 और 354 लागू की गई थी. सुनवाई के बाद कोर्ट ने उसे दोषी पाया और सजा सुनाई।
डॉक्टर ने इलाज के बहाने पीड़िता के प्राइवेट पार्ट्स को छुआ था
पुलिस के अनुसार, पीड़िता ने मई 2016 में सांस की समस्या के इलाज के लिए डॉक्टर से संपर्क किया था. डॉक्टर ने कथित तौर पर उसके प्राइवेट पार्ट्स को छुआ था और जब महिला ने डॉक्टर की हरकत का विरोध किया, तो उसने उसे आश्वस्त किया कि यह इलाज का हिस्सा है. 24 सितंबर 2016 को महिला उसी डॉक्टर के पास इलाज के लिए पहुंची थी और उसने फिर उसके साथ दुर्व्यवहार किया. उसी साल 7 अक्टूबर को तीसरी बार अस्पताल में जाने के दौरान, उसने एक युवती को डॉक्टर से बहस करते हुए पाया. तब पीड़िता को पता चला कि डॉक्टर ने युवती के साथ भी बदसलूकी की थी, जिसके बाद उसे अहसास हुआ कि डॉक्टर ने उसका यौन उत्पीड़न किया है. इसके बाद उसने अपने पति को सारी बात बताई और बाद में पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी.
एक और युवती ने डॉक्टर के खिलाफ दर्ज कराई थी शिकायत
पुलिस के मुताबिक, एक अन्य महिला ने 2016 में डॉक्टर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. हालांकि, डॉक्टर को मामले में बरी कर दिया गया था. इसके बाद उसने निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी और उसकी याचिका लंबित है.
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