Hyderabad Lac Bangles: हैदराबादी हलीम के बाद अब फेमस 'लाख की चूड़ियों' को मिला GI टैग
Hyderabad Lac Bangles: हैदराबाद की प्रसिद्ध लाख की चूड़ियां को भी जीआई टैग मिल गया है. इससे पहले 2010 में हैदराबादी हलीम को ये दर्जा दिया गया था.

Hyderabad Lac Bangles: हैदराबादी हलीम के बाद, अब हैदराबाद की प्रसिद्ध लाख की चूड़ियां को भी जीआई (GI) टैग मिल गया है. बता दें कि केवल हैदराबाद के 'लाड बाजार' में दस्तकारी की जाने वाली चमचमाती लाख की चूड़ियों के लिए एक जीआई एप्लीकेशन गुरुवार को चेन्नई में जीआई रजिस्ट्री के पास दायर किया गया है.
जीआई आवेदन जीआई एजेंट सुभाजीत साहा ने किया है दायर
विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (WIPO) जीआई को उन उत्पादों पर इस्तेमाल होने वाले संकेत के रूप में परिभाषित किया जाता है जिनकी एक विशिष्ट भौगोलिक उत्पत्ति होती है और उस मूल के कारण उत्पन्न होने वाले गुण या प्रतिष्ठा होती है. जीआई आवेदन जीआई एजेंट सुभाजीत साहा द्वारा दायर किया गया है, जो हैदराबाद स्थित क्रिसेंट हैंडीक्राफ्ट सोसाइटी की ओर से रेसोल्यूट ग्रुप में कानूनी और आईपीआर के प्रमुख हैं, जो इन नाजुक और रंगीन लाख की चूड़ियों को बनाने वाले कारीगरों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
लाख की चूड़ियों को बनाने की कला 500 साल पुरानी है
इन जटिल लाख की चूड़ियों को बनाने की कला 500 साल से अधिक पुरानी है और इसे लाड बाजार में पीढ़ियों से बनाया जा रहा है. इन चूड़ियों को राल से लाह को पिघलाकर गोल आकार में ढाला जाता है जिसके बाद इसे क्रिस्टल, मोतियों, दर्पणों या पत्थरों से सजाया जाता है.
आवेदन पंजीकरण विभिन्न चरणों से गुजरेगा
साहा ने कहा, “एक जीआई टैग भारत और विदेशों में हैदराबाद लाख की चूड़ियों की बेहतर ब्रांडिंग का मार्ग प्रशस्त करेगा. आवेदन पंजीकरण के विभिन्न चरणों से गुजरेगा और इसके एक वर्ष में पंजीकृत होने की उम्मीद है. ” साहा ने कहा, एक अनूठा लोगो डिजाइन किया गया है.
जीआई रजिस्ट्रेशन कला और कारीगरों को आईपी के अधिकार देकर करेगा मदद
साहा ने कहा, "जीआई रजिस्ट्रेशन कला और कारीगरों को आईपी के अधिकार देकर मदद करेगा और उन्हें इन चूड़ियों को प्रीमियम पर बेचने में सक्षम बनाएगा, साथ ही खरीदारों के हितों की रक्षा भी करेगा."गौरतलब है कि हलीम जीआई टैग हासिल करने वाला शहर का पहला विशिष्ट उत्पाद था, हैदराबादी बिरयानी के लिए भी जीआई प्राप्त करने का प्रयास किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. हलीम के अलावा, तेलंगाना में एक दर्जन से अधिक कृषि, हस्तशिल्प और कपड़ा उत्पाद हैं जिन्हें जीआई पंजीकरण प्राप्त हुआ है.
ये भी पढ़ें
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
