Hyderabad Cheetah Death: एक दशक पहले सऊदी के राजकुमार बंदर बिन सऊद बिन मोहम्मद अल सऊद ने उपहार में दिए गए हैदराबाद के नेहरू जूलॉजिकल पार्क में दो चीतों में से अंतिम की मृत्यु हो गई है. चिड़ियाघर के अधिकारियों के मुताबिक, 15 वर्षीय अब्दुल्ला की शुक्रवार शाम को कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. चिड़ियाघर के अधिकारियों के अनुसार, यह घटना तब सामने आई जब श्रमिकों ने 15 वर्षीय अब्दुल्ला नर चीता को खाना खिलाने के लिए बुलाया. जब बार-बार बुलाने के बावजूद चीता,जो आमतौर पर उसके नाम का जवाब देता था, वह नहीं आया, तो उन्होंने बाड़े में प्रवेश किया और देखा कि आमतौर पर फुर्तीली बिल्ली एक पेड़ के पास मृत पड़ी थी. वेटरनरी बायोलॉजिकल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (VBRI) ने पोस्ट-मॉर्टम में पता चला की हृदय गति रुकने से उसकि मौत हो गइ है.
सऊदी राजकुमार ने अफ्रीकी शेरों की एक जोड़ी के साथ-साथ चीतों की एक जोड़ी उपहार में दी थी, जब वह 2012 में CoP-11 शिखर सम्मेलन के लिए अपनी हैदराबाद यात्रा के दौरान चिड़ियाघर गए थे. सऊदी राजकुमार ने दो चीतों का नाम रखा - हिबा (मादा) और अब्दुल्ला (नर). 2020 में पैरापलेजिया की लंबी बीमारी से पीड़ित होने के बाद हिबा की मृत्यु हो गई - शरीर के निचले हिस्सों को स्वेच्छा से स्थानांतरित करने में असमर्थ थी. वह आठ साल की थी.
दोपहर 3.30 से 4 बजे के बीच हुइ थी मृत्यु
उप निदेशक (पशु चिकित्सा) डॉ एम ए हकीम ने कहा, "उन्होंने अपना सुबह का खाना खाया था और शुक्रवार दोपहर 3.30 से 4 बजे के बीच उसकी मृत्यु हो गई." अब्दुल्ला में कोई नैदानिक लक्षण नहीं थे. उसने उस पशुपालक को कोई जवाब नहीं दिया जो उसे खाना खिलाने गया था. जांच करने पर, वह अनुत्तरदायी पाया गया और चिड़ियाघर के पशु चिकित्सकों ने मृत्यु की पुष्टि की.
'चीते के लिए कैद में प्रजनन करना बहुत दुर्लभ है'
अब्दुल्ला की मौत के साथ ही नेहरू जूलॉजिकल पार्क ने अपना आखिरी चीता खो दिया है. लगभग 70 साल पहले भारत में चीतों को विलुप्त घोषित कर दिया गया था. चिड़ियाघर के अधिकारियों ने ध्यान दिया कि जबकि सऊदी राजकुमार ने नर और मादा जोड़े को उनके प्रजनन की आशा के साथ दान किया था, लेकिन चीते के लिए कैद में प्रजनन करना बहुत दुर्लभ है. अब तक का एकमात्र अपवाद सैन डिएगो चिड़ियाघर रहा है जहां चीता का बाड़ा 2.5 एकड़ में फैला है. चिड़ियाघर के एक अधिकारी ने कहा, "चीतों का मादाओं के साथ प्रेमालाप का एक अलग रूप है. वे एक साथ शिकार करते हैं और समय के साथ संभोग होता है." 2022 में, केंद्र सरकार ने देश में सबसे तेज़ बिल्ली की आबादी को पुनर्जीवित करने के प्रयास में नांबिया से आयात किए गए आठ चीतों को मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में फिर से पेश किया.
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