इस दुकान पर 52 सालों से मिल रही 8 तरह की कचौड़ी, PM ने इंदौर को यूं ही नहीं कहा स्वाद राजधानी
Indore Kachori: इंदौर के कोठारी मार्केट में स्थित अग्रवाल कचौड़ी की दुकान 1972 में खुली थी. यहां की भुट्टे, दाल, मूंग, आलू, लहसन, प्याज की कचौड़ियां बड़ी मशहूर हैं. कुछ लोग यहां 25 सालों से आ रहे हैं.
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MP Indore Kachori: मध्य प्रदेश के इंदौर को खाने-पीने के मामले में स्वाद की राजधानी कहा जाता है. पीएम मोदी भी यहां के लजीज व्यंजनों की कई बार तारीफ कर चुके हैं. इंदौर के 56 दुकान और सराफा बाजार का तो क्या ही कहना? वैसे तो यहां के पोहे और जलेबी की तारीफ देशभर में होती है. इंदौर आने वाला हर शख्स इंदौर का पोहा चखना चाहता है, लेकिन आपको बता दें यहां की खस्ता कचौड़ियों के लोग कम मुरीद नहीं हैं.
इंदौर में दर्जनों ऐसे ठिकाने हैं, जहां बेहतरीन कचौड़ियां मिलती हैं. इन्हीं में से एक दुकान कोठारी मार्केट के पास अग्रवाल कचौड़ी के नाम से मशहूर है, तो आइए आपको इंदौर की करीब 50 साल पुरानी दुकान की आठ तरह की कचौड़ियों की खासियत बताते हैं. इंदौर के कोठारी मार्केट में स्थित अग्रवाल कचौड़ी की दुकान 1972 में खुली थी. यहां उस वक्त पुरुषोत्तम अग्रवाल ने एक ठेले पर छोटी से दुकान पर कचौड़ी बनाकर शुरूआत की थी, लेकिन उसके बाद यहां लगातार लोग आते गए और अग्रवाल की कचौड़ी को अपना प्यार देते गए, जिससे आज यह दुकान बहुत ही फेमस है.
दुकान के मालिक जितेंद्र अग्रवाल ने बताया कि यहां पर उस समय 50 पैसे की कचौड़ी मिला करती थी. उस समय यहां पर महाराजा टॉकीज हुआ करता था, जहां लोग फिल्म देखने आया करते थे. 70 के दशक में शुरू हुई इस दुकान पर अब रोजाना हजारों कचौड़ियां देखते ही देखते गायब हो जाती हैं.
दुकान के मालिक जितेंद्र बताते हैं कि उनकी दुकान पर कचौड़ियों का स्वाद इतने सालों से एक जैसा इसलिए है, क्योंकि यहां पर उनके ही परिवार के दर्जनभर से ज्यादा लोग कचौड़ियां बनाते आ रहे हैं. यहां कुछ लोग तो ऐसे हैं जो बीते 25 सालों से लगातार यहीं आकर कचौड़ी खाते हैं. यहां की भुट्टे, दाल, मूंग, आलू, लहसन, प्याज की कचौड़ियां बड़ी मशहूर हैं.
50 पैसे से 15 रुपये तक का सफर
जितेंद्र अग्रवाल एक फोटो दिखाते हुए कहते हैं कि उनके पिता ने महज 50 पैसे में कचौड़ी बेचने की शुरूआत की थी. उसके बाद से आज करीब 50 सालों में कचौड़ी का दाम 15 रुपये हो गया है. उनका कहना है कि इसकी एक वजह महंगाई का बढ़ना भी है. वहीं समय के साथ-साथ कीमतों में भी बदलाव होता है.
जितेंद्र अग्रवाल ने बताया कि इंदौर के कई परिवार अमेरिका रहते हैं, लेकिन वह जब भी यहां आते हैं तो हमारे यहां आना नहीं भूलते हैं. इतना ही नहीं वो यहां से अपने परिजनों और मित्रों के लिए दर्जनभर से ज्यादा कचौड़ियां लेकर जाते हैं. यह पूछने पर कि क्या यह कचौड़ियां खराब नही होती हैं? उनका कहना था कि कचौड़ियां बेसन को सेंककर बनाई जाती हैं, इसलिए तीन दिन तक कचौड़ी खराब नहीं होती है.
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