Indore News: इंदौर में बाल तस्करी के खिलाफ श्रम विभाग को बड़ी सफलता मिली है. श्रम विभाग की टीम ने एक साल में 60 बच्चों को तस्करों के चंगुल से बचाया है. मुक्त कराये गये बच्चों में 48 लड़के और 12 लड़कियां शामिल हैं. 'न्याय तक पहुंच' कार्यक्रम के तहत रेस्क्यू किये गये बच्चों का पुनर्वास किया गया है. बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए चलाया जाने वाला कार्यक्रम न्याय तक पहुंच दुनिया का सबसे बड़ा है. 400 से अधिक जिलों में जमीनी स्तर पर 180 राष्ट्रीय और स्थानीय एनजीओ काम कर रहे हैं.


अप्रैल 2023 से मार्च 2024 तक बाल तस्करी के 16,084 मामले दर्ज किए गये और 29,224 बच्चों को बचाया गया. श्रम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक रेस्क्यू किये गए बच्चों में ज्यादातर 25 बच्चे बिहार के हैं. दूसरे नंबर पर इंदौर के 23 और पश्चिम बंगाल और नेपाल के लगभग 7 से 5 बच्चे  शामिल हैं. बिहार के 25 बच्चों को छुड़ाने के बाद तीन एफआईआर दर्ज की गईं और तीन तस्करों को गिरफ्तार किया गया.


तस्कर गिरोह के निशाने पर बच्चे


बचाए गए अधिकांश लड़के बैग और चॉकलेट कारखानों में काम करते पाए गए. जबकि लड़कियां घरेलू काम करती थीं. एनजीओ के निदेशक वसीम इकबाल ने कहा कि पिछले एक साल में 60 बच्चों को तस्करों से छुड़ाया गया है. हाल की रिपोर्ट बताती है कि तस्कर बच्चों को फंसाने के लिए नए नए तरीके अपना रहे हैं. बाल तस्करी के लिए इंटरनेट और नई तकनीक का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. 


उत्तर प्रदेश के गोंडा में जॉब दिलाने के नाम पर मानव तस्करी का मामला सामने आया है. बीते 29 जुलाई को 3 महिलाएं 16 नाबालिग लड़कियों को लेकर बिहार जा रही थीं. तभी गोंडा रेलवे स्टेशन पर आरपीएफ को मानव तस्करी की भनक लगी. आरपीएफ की टीम ने तीन महिलाओं को दबोच कर सभी 16 नाबालिग बच्चियों को बरामद कर लिया. पूछताछ के दौरान पता चला कि तीनों महिलाएं नाबालिग बच्चियों को जॉब दिलाने के नाम पर बिहार ले जा रही हैं. आरपीएफ ने बरामद की गई नाबालिग लड़कियों को चाइल्ड हेल्पलाइन के सुपुर्द कर दिया. जांच के बाद पुलिस ने अब मानव तस्करी का मुकदमा दर्ज किया है. 


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