Indore News: सड़क दुर्घटना में घायल को समय पर इलाज मिलना बहुत मुश्किल होता है. दुर्घटना के समय पीड़ित अक्सर अकेला होता है. खासतौर पर ट्रक ड्राइवर और अन्य वाहन चालकों की मदद को हाथ नहीं बढ़ता. दुर्घटना पीड़ित को इलाज के लिए अस्पताल जाने पर रुपयों का इंतजाम करने में 2 दिन से ज्यादा का समय लग जाता है. ऐसे में ज्यादातर मरीजों की बिना इलाज के मौत होने की आशंका बरकरार रहती है. अब सरकार के सामने मांग उठी है कि कम से कम एक लाख रुपये प्रति घायल अस्पताल में इलाज की व्यवस्था की जाए.


योजना से सड़क दुर्घटना के कारण होने वाली मौतों की संख्या में कमी आएगी. दुर्घटना पीड़ित को किसी भी अस्पताल में एक लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार से राहत कोष स्थापित करने की अपील की गयी है. इंदौर ट्रक ऑपरेटर्स एंड ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ने परिवहन मंत्री राव उदय प्रताप सिंह को इस सिलसिले में पत्र लिखा है.




सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए राहत कोष बनाने की मांग


पत्र में एमपी वाहन दुर्घटना राहत कोष बनाने की मांग की गयी है. एसोसिएशन का कहना है कि धन की कमी के कारण सड़क दुर्घटना में घायल ड्राइवरों और आम जनता को इलाज की व्यवस्था गंभीर मुद्दा है. पत्र में जोर दिया गया है कि दुर्घटना के बाद "गोल्डन ऑवर्स" के दौरान मेडिकल अटेंशन जरूरी है. घायल को अस्पताल ले जाने पर परिजन या परिचित को पैसों का इंतजाम करने में 1 से 2 दिन लगते हैं.


आईटीओटीए ने परिवहन मंत्री को पत्र लिखकर रखी बात


पैसों का इंतजाम करने में हुई देरी से मरीज को गंभीर जटिलताएं या मौत का भी खतरा हो सकता है. आईटीओटीए के अध्यक्ष सी एल मुकाती ने कहा कि सड़क दुर्घटना पीड़ितों को अस्पताल में एक लाख तक का मुफ्त इलाज की सुविधा मिलने से बचाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि पत्र लिखने का मकसद दुर्घटना पीड़ितों को तत्काल वित्तीय सहायता प्रदान करना है.


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