Typewriter Museum in Indore: मध्य प्रदेश के इंदौर में एक शख्स को पुराने टाइपराइटर से इतना ज्यादा लगाव है कि वह दुनिया भर के 400 से ज्यादा विभिन्न प्रकार के टाइपराइटरों का एक म्यूजियम भी चलाते हैं. म्यूजियम में देश के साथ-साथ अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान और चीन के लगभग 450 टाइपराइटर हैं. एएनआई से बात करते हुए इस संग्रहालय को चलाने वाले राजेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने इस म्यूजियम को दस साल शुरू किया था.


10 साल पहले टाइपराइटर म्यूजियम किया था शुरू
राजेश कहते हैं, "मैंने 10 साल पहले म्यूजियम शुरू किया था, और अब इसमें अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, जापान, चीन और भारत के लगभग 450 टाइपराइटर हैं. सबसे पुराना 1890 का है." राजेश ने कहा कि उसके पिता माधव प्रसाद शर्मा की जिला अदालत के बाहर एक दुकान थी जहां वह टाइपिंग का काम करते थे. उन्होंने आज की पीढ़ी को उनके उपयोग के प्रति जागरूक करने के लिए प्राचीन टाइपराइटरों का प्रदर्शन शुरू किया.


ज्यादातर टाइपराइटर 1910 से 1930 तक के हैं
शर्मा कहते हैं, "टाइपराइटर का बिजनेस हमारा पारिवारिक व्यवसाय हुआ करता था. हमने संग्रहालय की शुरुआत की ताकि स्मार्टफोन के बीच बढ़ती पीढ़ी यह पहचान सके कि ऐसी मशीन भी एक बार मौजूद थी."संग्रह में 1890 का एक अमेरिकी अंग्रेजी टाइपराइटर शामिल है. इसके अलावा, अधिकांश टाइपराइटर 1910 से 1930 तक के हैं.मर्सिडीज कंपनी द्वारा निर्मित एक टाइपराइटर है जो 1922 का है. 1913 से कोरोना कंपनी, 1922 से रॉयल कंपनी, 1960 से 2000 तक ट्रम्प कंपनी. इसके अलावा गोदरेज और रेमिंगटन टाइपराइटर भी यहां हैं.



म्यूजियम में रेमिंगटन के टाइपराइटर भी हैं
राजेश कहते हैं कि कोरोना कंपनी द्वारा बनाया गया टाइपराइटर उस दौरान पुलिस अधिकारियों का पसंदीदा हुआ करता था क्योंकि यह सबसे छोटा और फोल्डेबल है, जिसका वजन केवल 2.5 किलो है. राजेश शर्मा ने कहा, मेरे पास टाइपराइटर बनाने वाली पहली कंपनी रेमिंगटन के टाइपराइटर हैं.


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