Madhya Pradesh News: मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर पीठ को सौंपी रिपोर्ट में एमवाय अस्पताल के अधीक्षक ने कहा कि नाबालिग लड़की प्रीति अपने बीमार पिता को लीवर का हिस्सा दान करने के लिए फिट है. बता दें इस मामले में 27 जून को सुनवाई कर रहे आयुक्त (स्वास्थ्य) को भी सोमवार (24 जून) तक अदालत में अपनी रिपोर्ट पेश करनी थी, लेकिन वह निर्धारित समय सीमा में रिपोर्ट नहीं दे सके. 


इस पर अदालत ने आयुक्त (स्वास्थ्य) को निर्देश दिया कि वह मामले में राज्य स्तरीय समिति का पक्ष रखें और अगले दो दिनों में अदालत को इसकी सूचना दें. यदि वह समय सीमा में रिपोर्ट नहीं देते हैं तो आयुक्त (स्वास्थ्य) को सुबह 10.30 बजे कोर्ट में पेश होकर सरकार का पक्ष रखना होगा. दरअसल, 17 साल 10 महीने उम्र की एक युवती अपने पिता को अपने लीवर का हिस्सा दान करना चाहती है. लड़की नाबालिग है इसलिए अस्पताल ने परिवार की अर्जी अस्वीकार कर दी थी. 


इस पर उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. 20 जून को सुनवाई के दौरान जस्टिस विनय सराफ ने एमवाय अस्पताल अधीक्षक को तीन दिन के भीतर नाबालिग की मेडिकल फिटनेस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे. कोर्ट के आदेश के बाद मेडिकल कमेटी बनाई गई, जिसने लड़की की जांच की और उसे अपने पिता को लिवर का हिस्सा दान करने के लिए मेडिकली फिट पाया.


क्या है पूरा मामला?
इससे पहले जिस निजी अस्पताल में पिता का इलाज चल रहा है, वह अपनी रिपोर्ट दे चुका है. डॉक्टर पहले ही कह चुके हैं कि प्रीति फिट है और वह अपने लिवर का हिस्सा दान कर सकती है, लेकिन मेडिकल बोर्ड और कानून से जुड़ी दिक्कतें हैं. बेटमा निवासी शिवनारायण बाथम (42) का लिवर फेल हो गया है और उसकी हालत गंभीर है.


ऐसे में उनके लिए डोनर नहीं मिलने पर उसकी नाबालिग बेटी प्रीति ने अपने पिता को लिवर का हिस्सा दान करने की पेशकश की थी. इस पर 13 जून को हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर अस्पताल को आदेश देने की मांग की गई कि वह उसे अपने पिता को अपने लीवर का हिस्सा दान करने की अनुमति दें.




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