Pandit Pradeep Mishra: पंडित प्रदीप मिश्रा इन दिनों सुर्खियों में हैं. दरअसल, मध्य प्रदेश के चितावलिया हेमा गांव में 22 फरवरी तक रुद्राक्ष वितरण और शिव महापुराण कथा का आयोजन किया गया. सात दिवसीय समारोह में कुबेश्वर धाम आए श्रद्धालुओं को भूख-प्यास से तड़पना पड़ा तो वहीं कड़ी धूप और अव्यवस्थाओं की वजह से श्रद्धालुओं की मौत भी हो गई. अव्यवस्थित तरीके से आयोजित समारोह के बाद भी पंडित प्रदीप मिश्रा ने दावा किया कि आयोजन व्यवस्थित तरीके से हुआ, रुद्राक्ष भी लाइन में लगाकर व्यवस्थित तरीके से दिए गए.
कहा जा रहा है कि श्रद्धालुओं का पंडित प्रदीप मिश्रा द्वारा दिए जाने वाले रुद्राक्ष में अटूट विश्वास है, जिसके चलते देश के कोने कोने से कुबेरेश्वर धाम पहुंचते हैं. निम्न मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण पंडित प्रदीप मिश्रा का बचपन अभावों में बीता लेकिन जब बड़े हुए तो उन्होंने स्कूल टीचिंग में अपने हाथ आजमाएं साथ ही पंडिताई भी करने लगे. पंडित प्रदीप मिश्रा का जन्म 1980 में सीहोर में हुआ था. उनका उपनाम रघु राम है. उन्होंने ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की है. वहीं, उनके पिता का नाम पंडित श्री रामेश्वर दयाल जी मिश्रा है, जिनका बीते साल 2 जून को ह्रदय गति रुकने से निधन हो गया था. पंडित प्रदीप मिश्रा के दो भाई हैं, जिनका नाम दीपक और विनय मिश्रा है.
कौन थे पंडित प्रदीप मिश्रा के पिता?
पंडित प्रदीप मिश्रा के पिता स्व. रामेश्वर मिश्रा ज्यादा पढ़े-लिखे नहीं थे. वह चने का ठेला चलाते थे. बाद में उन्होंने चाय की दुकान खोल ली. प्रदीप मिश्रा अपने पिता के काम में उनकी मदद करते थे. उन्होंने बड़ी मुश्किल हालत में अपनी बहन की शादी की थी. पंडित मिश्रा को बचपन से ही भक्ति भजन में काफी रुचि थी, जिसके चलते वे अपने स्कूल के दिनों में ही भजन कीर्तन किया करते थे. जब वे बड़े हुए तो सीहोर में ही एक ब्राह्मण परिवार की गीता बाई पराशर नाम की महिला ने उन्हें कथा वाचक बनने के लिए प्रेरित किया. गीता बाई पराशर ने उन्हें गुरुदीक्षा के लिए इंदौर भेजा. इसके बाद रु श्री विठलेश राय काका जी उन्होंने दीक्षा लेकर पुराणों का ज्ञान प्राप्त किया.
कैसे शुरू किया सफर?
पंडित प्रदीप मिश्रा ने शुरू में शिव मंदिर से कथा वाचन शुरू किया था. वे शिव मंदिर की सफाई करते थे. इसके बाद वे सीहोर में पहली बार कथावाचक के रूप में मंच संभाला. पंडित प्रदीप मिश्रा अपने कथा कार्यक्रम में कहते हैं- 'एक लोटा जल समस्या का हल'. यही बात लोगों के मन में बैठ गई. इसके बाद लोगों ने पंडित प्रदीप मिश्रा को सुनना शुरू कर दिया. पंडित प्रदीप मिश्रा को 'सीहोर वाले बाबा' के नाम से भी जाना जाता हैं. वे अपने प्रवचन में शिवपुराण की कथा सबसे ज्यादा करते हैं और उसके उपाय भी बताते हैं जिसके चलते वे प्रसिद्ध हुए. पंडित मिश्रा के यूट्यूब और फेसबुक पर लाखों फॉलोअर हैं.
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