Corona Virus News Update: एक तरफ कोरोना की चौथी लहर (Covid-19 Fourth Wave) ने दस्तक दे दी है और लोगों को एक बार फिर सफाई, दवाई और कड़ाई का पालन करने की सलाह दी जा रही है. वहीं दूसरी तरफ एक ऐसी रिसर्च सामने आई है, जिसके दावे मच्छरों के आतंक से पीड़ित भारतवासियों को थोड़ी राहत दे सकती है. कोलकाता स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल बायोलॉजी (CSIR-IICB) के एक वैज्ञानिक सुभजीत बिसवास का दावा है कि जिन इलाकों में डेंगू (Dengue) का प्रकोप ज्यादा है वहां कोविड-19 (Dengue Covid Conundrum) के संक्रमण फैलने का खतरा कम होता है.


डेंगू और कोरोना का ये रिश्ता क्या कहलाता है!


टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक, जुलाई 2020 में बिसवास ने पहली लैब स्टडी की थी, जिसमें इस बात की पुष्टि हुई थी कि डेंगू और कोरोना एक दूसरे से परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं. बिसवास ने इसे "डेंगू-कोविड कॉन्ड्रम" कहा है. रिसर्ज में यह साफ हो गया कि दोनों बीमारियों में एंटीजेनिक संबंध है. स्वास्थ्य मंत्रालय की पॉलिसी रिपोर्ट में भी बिसवास के इस दावे को प्रकाशित किया गया है.


दुनियाभर के शोध में भारत के दावे की पुष्टि  


साल 2021 और साल 2022 की शुरुआत में चीन,  श्रीलंका और इंडोनेशिया ने भी बिसवास के दावे की पुष्टि की. उन्होंने माना कि जिन लोगों को डेंगू हो चुका है उन्हें कोविड का खतरा कम है और जिन्हें कोविड-19 ने संक्रमित किया उन्हें डेंगू होने की संभावना कम है. ड्यूक यूनिवर्सिटी के मिग्वेल निकोलेलिस के रिसर्च और ब्राजील के प्रोफेसर सिल्वेस्टर की 2000 कोविड मरीजों पर किए शोध में भी पाया गया कि जिन्हें पहले कभी डेंगू नहीं हुआ उनमें कोविड-19 से मौत का खतरा ज्यादा था. इजराइल के भी वैज्ञानिकों ने भी कोविड-19 और डेंगू वायरस में 22 फीसदी सेरोलॉजिकल क्रॉस-रिएक्टिविटी पायी है.


रिसर्च की पुष्टि के बाद बिसवास इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए विस्तृत  सेरोलॉजिकल टेस्ट करने करेंगे ताकि भविष्य में दोनों वायरस की डायग्नोसिस अलग-अलग तरीके से हो सके.


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