Dengue Break Record in West Bengal: कोरोना वायरस के चौथे लहर के खतरे के बीच पश्चिम बंगाल में एक और बीमारी ने लोगों के बीच परेशानी बढ़ा दी है. दरअसल, पश्चिम बंगाल में इस साल डेंगू के मामलों में काफी तेजी देखने को मिली है. डेंगू के तेजी से मिलते मामलों ने लोगों और प्रशासन के बीच चिंता की लकीरें खींच दी है. इस साल राज्य में डेंगू ने अपने 4 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. राज्य में तेजी से बढ़ते डेंगू के मामले ने राज्य सरकार को भी चिंता में डाल दिया है. अब राज्य सरकार इसके मामले को कम करने के लिए मंथन कर रही है और इसके लिए उच्च स्तरीय बैठक भी बुलाई गई है.
अबतक सामने आ चुके हैं 1751 मामले
पश्चिम बंगाल में 2019 के पहले 26 हफ्तों में 1,037 डेंगू के मामले दर्ज किए थे. वहीं 2020 और 2021 के पहले 26 हफ्तों के दौरान घटकर 619 और 273 हो गई थी. हालांकि, 2022 के पहले 26 हफ्तों में यह बढ़कर 1,751 हो गया है जो अबतक पिछले चार सालों के पहले 26 हफ्तों में सबसे अधिक मामले हैं.
राज्य के स्वास्थ्य सचिव एनएस निगम ने डेंगू के मामले की जानकारी देते हुए बताया कि हमारे पास इस साल डेंगू के मामलों की संख्या अधिक है. लेकिन परीक्षण भी बढ़ गया है. मुख्य सचिव ने बताया कि हमने शहरी विकास, स्वास्थ्य और पंचायत और ग्रामीण विकास समेत कुछ विभागों के साथ बैठक की है और डेंगू को रोकने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई भी शुरू की जा चुकी है.
ग्रामीण क्षेत्र में सामने आए अधिक मामले
राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस साल शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 70 फीसदी अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. उत्तर 24 परगना, मुर्शिदाबाद और मालदा जैसे जिलों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं. उन्होंने बताया पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग ने एक विशेष प्रकोष्ठ खोला है और दो डॉक्टरों को नियंत्रण कक्ष में तैनात किया गया है. जब भी किसी निश्चित क्षेत्र में मामले बढ़ने लगते हैं, तो उन्हें सतर्क किया जा सकता है और कदम उठाए जा सकते हैं. वहीं विशेषज्ञों का दावा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू के मामलों की बढ़ती संख्या के पीछे बेलगाम शहरीकरण है.
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