Kolkata Dengue Update: कोलकाता में डेंगू के मामलों का आंकड़ा 300 के हुआ पार, KMC नें डेंगू विरोधी अभियान किया तेज
Kolkata Dengue Update: कोलकाता में डेंगू के मामलों में उछाल देखा जा रहा है. फिलहाल शहर में डेंगू के मामलों का आंकड़ा 300 के पार चला गया है.
Kolkata Dengue Update: साल्ट लेक और कोलकाता में डेंगू के मामलों में तेजी देखी जा रही है. कोलकाता नगर निगम के स्वास्थ्य अधिकारी के अनुसार, शुक्रवार को मामलों की संख्या 300 को पार कर गई. नागरिक सूत्रों ने कहा कि पांच दिन पहले तक यह संख्या 250 तक सीमित थी. गौरतलब है कि दक्षिण कोलकाता के विभिन्न हिस्सों में डेंगू के मामलों में इजाफा हुआ है.
KMC रुके हुए पानी को साफ करने में जुटी हुई है
वहीं डेंगू के मामले बढ़ने के साथ कोलकाता नगर निगम ने भवानीपुर, चेतला, कालीघाट, अलीपुर, न्यू अलीपुर, टॉलीगंज, अनवर शाह रोड, जोधपुर पार्क, गोल्फ ग्रीन, ढकुरिया, जादवपुर, गरिया, बाघाजतिन और ईएम बाईपास से दूर स्थित इलाकों में डेंगू विरोधी अभियान तेज कर दिया है. विभिन्न विभागों जैसे हेल्थ, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट और भवनों के अधिकारियों के साथ एक संयुक्त कार्रवाई टीम बंद परिसर से रुके हुए पानी और कचरे के ढेर को साफ करने के काम में जुटी हुई है.
साउथ कोलकाता के क्षेत्रों पर रखी जा रही है नजर
वहीं केएमसी स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि, "हम दक्षिण कोलकाता में इन क्षेत्रों पर नजर रख रहे हैं जहां हमने पिछले दो हफ्तों में डेंगू के मामलों में तेजी देखी है. हमने खतरनाक बीमारी के प्रसार को रोकने के लिए इन डेंगू-प्रोन क्षेत्रों में अपने वेक्टर नियंत्रण विंग से प्रशिक्षित श्रमिकों को तैनात किया है. वहीं उत्तरी कोलकाता के पड़ोस में, हातीबागन, सोवाबाजार, बिधान सारणी, बुराबाजार और जोरासांको जैसे क्षेत्रों में एक विशेष निगरानी रखी जा रही है.
साल्ट लेक में रखी जा रही निगरानी
वहीं साल्ट लेक में बीएमसी के मेयर कृष्णा चक्रवर्ती, बीएमसी चेयरमैन और वार्ड 31 के पार्षद सब्यसाची दत्ता और बीएमसी स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में ड्रोन से निगरानी की गई. बीएफ और सीएफ ब्लॉकों और पार्कों और उद्यानों के आसपास के इलाके में छतों के निर्माण की तस्वीरें ली गईं. नगर निगम के कर्मचारियों ने योग पार्क के आसपास पाए गए कुछ जमा पानी को भी साफ किया जहां मच्छरों के लार्वा भी पाए गए थे. बीएमसी के मेयर कृष्णा चक्रवर्ती ने कहा, "पिछले वर्षों की तरह, हमने छतों के निर्माण की स्थिति की जांच करने के लिए ड्रोन निगरानी शुरू कर दी है ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि मच्छरों के प्रजनन के लिए पानी जमा हो सकता है या नहीं. हम लगातार जागरूकता अभियान चला रहे हैं."
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