Income Tax Fraud: इनकम टैक्स रिफंड के नाम पर लोगों के साथ हो रहा फ्रॉड, कोलकाता पुलिस ने जारी की ये एडवाइजरी
कोलकाता पुलिस ने लोगों को इनकम टैक्स रिफंड के नाम पर हो रहे फ्रॉड से बचने की अपील की है. पुलिस ने इस संबंध में डिटेल्ड एडवाइजरी भी जारी की है.
Kolkata News: क्या आपको "इनकम टैक्स रिफंड डिपार्टमेंट" से ऐसी कोई मेल मिली है, जिसमें आपको रिटर्न फाइल करने के बाद काफी प्रॉफिट मिलने की बात कही गई हो? अगर ऐसा कोई मेल आपको मिलता है तो उसमें दिए गए लिंक पर क्लिक करने से पहले सौ बार सोचे. दरअसल यह बड़े लेवल पर धोखाधड़ी है जो 2018 से हर साल चल रही है.
धोखाधड़ी से बचने के लिए डिटेल्ड एडवाइजरी जारी
गौरतलब है कि इस तरह की धोखाधड़ी के मद्देनजर कोलकाता पुलिस के डिटेक्टिव डिपार्टमेंट ने लोगों को अगाह करते हुए एक डिटेल्ड एडवाइजरी जारी की है. इसमें बैंकिंग ट्रोजन सॉफ्टवेयर के बारे में बताया गया है. दरअसल ये सॉफ्टवेयर लोगों को आयकर रिफंड के लिए अपने बैंक डिटेल्स जमा करने के लिए प्रेरित करता है. एंटी बैंक फ्रॉड सेक्शन के एक अधिकारी ने कहा, "आयकर विभाग से संदेश के रूप में आ रहे ऐसे किसी टेक्स्ट मैसेज के माध्यम से प्राप्त किसी भी लिंक पर क्लिक न करें." उन्होंने ये भी कहा कि एंड्रॉइड फोन का इस्तेमाल करने वाले बैंकिंग लेनदेन के दौरान इस तरह की धोखाधड़ी का ज्यादा शिकार बनते हैं.
लोगों को सतर्क रहने की है जरूरत
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक एक प्राइवेट बैंक के विजिलेंग विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि इन धोखेबाजों का सामान्य तौर-तरीका धमकी भरे संदेश भेजना (अभी तक आईटी रिटर्न दाखिल नहीं करने के लिए) या भारी रिफंड का ऑफर देना है. लेकिन लोगों को अब सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि रिटर्न दाखिल करने का आखिरी दिन नजदीक आ रहा है.'
कैसे इनकम टैक्स रिटर्न भरने के नाम पर होती है धोखाधड़ी
धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ अन्य तौर-तरीकों में यूजर्स को "ऑनलाइन टैक्स वकीलों की मदद" के साथ आईटीआर भरने के लिए कहना और रिफंड का दावा करना शामिल है. “इन ईमेल और एसएमएस में एक कैची सब्जेक्ट लाइन होती है. लास्ट में एक लिंक दिया गया होता है, यूजर्स को लिंक पर क्लिक करने के लिए कहा जाता है, ऐसा करते ही एक नई वेबसाइट ओपन हो जाती है जिसमें बैंक खातों की डिटेल्स मांग जाती है. उपयोगकर्ता से उसका आधार नंबर और पैन भी मांगा जाता हैय. ये सभी गुप्त सूचनाएं हैं और करदाता को किसी भी परिस्थिति में इसे किसी को नहीं देना चाहिए.
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