पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में रविवार सुबह सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) द्वारा भारत में घुसने की कोशिश कर रही एक बांग्लादेशी महिला को गिरफ्तार किए जाने के बाद भारत-बांग्लादेश सीमा पर मानव तस्करी का मामला सामने आया. मुक्ता मंडल (बदला हुआ नाम) ने पूछताछ के दौरान अधिकारियों को बताया कि उसे दिल्ली में मिली एक अन्य बांग्लादेशी महिला ने खुद देह व्यापार के लिए मजबूर किया और बाद में उसे अच्छी नौकरी के लालच में सीमावर्ती इलाकों से अन्य अनजान महिलाओं को लाने का काम सौंपा गया था.


भारत-बांग्लादेश सीमा पर हर साल की जाती है 50 हजार लड़कियों की तस्करी


एनजीओ द्वारा किए गए और बीएसएफ द्वारा पुष्टि किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि भारत-बांग्लादेश सीमा पर हर साल 12 से 30 साल की उम्र की 50,000 लड़कियों और महिलाओं की तस्करी की जाती है. पिछले एक दशक में, ढाका और कोलकाता में संचालित विस्तृत तस्करी रैकेट द्वारा लगभग पांच लाख लड़कियों और महिलाओं को भारत भेजा गया है. गिरफ्तारी के बाद मुक्ता ने बीएसएफ को बताया, "सीमा और आगे अंतर्देशीय क्षेत्र में एक बड़ा रैकेट चल रहा है. मुझे भारत में अच्छी नौकरी का वादा किया गया था और लगभग 11 महीने पहले सीमा पार करने में मदद की गई थी. पश्चिम बंगाल से, मुझे दिल्ली ले जाया गया, जहां मुझे एक महिला प्रभारी के तहत रखा गया था, जो कि खुद भी बांग्लादेशी है."


उसने आगे कहा, "मैंने उसके साथ मालवीय नगर में रहना शुरू कर दिया. कुछ महीने बाद, उसने मुझे देह व्यापार के लिए मजबूर किया. मैं असहाय थी. उसका काफी प्रभाव है और उसके समृद्ध ग्राहक हैं, जिनके शक्तिशाली संपर्क हैं. मैं अधिकारियों के पास नहीं जा सकती थी, क्योंकि मुझे एक अवैध अप्रवासी के रूप में गिरफ्तार कर लिया जाता." ऐसा लगता है कि महिला धीरे-धीरे अपने इस नए जीवन में ढलती चली गई, क्योंकि इससे अच्छी कमाई हो रही थी. उसका उद्देश्य बांग्लादेश में गरीबी में रहने वाले अपने परिवार की मदद करना था. हाल ही में मुक्ता ने घर लौटने की इच्छा जताई थी. मालवीय नगर की प्रभारी महिला ने उसे इस शर्त पर अनुमति दी कि वह सीमावर्ती जिलों से 2-3 लड़कियों को वापस लाएगी, जिससे उन्हें भारत में नौकरी के अच्छे अवसर मिलेंगे. इस तरह वह खुद एक तस्कर बन गई.


मुक्ता को बीएसएफ ने कार्रवाई के लिए पुलिस को सौंपा


मुर्शिदाबाद में फरजीपारा सीमा चौकी पर तैनात बीएसएफ के जवानों को सुरक्षा बल की मानव तस्करी रोधी इकाई द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा (आईबी) पार करने के संभावित प्रयास के बारे में सतर्क किया गया था. इसके बाद रविवार सुबह करीब आठ बजे मुक्ता को पकड़ लिया गया. अधिकारियों को अभी भी यकीन नहीं है कि क्या वह बांग्लादेश से अन्य महिलाओं को लाने में सफल रही या वे किसी तरह अन्य मार्गों का उपयोग करके भारत में प्रवेश करने में सफल रहीं. मुक्ता को कानून के तहत आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस को सौंप दिया गया है. एजेंसियां उसके बयान पर गौर कर रही हैं और मालवीय नगर की उस महिला तक पहुंचने की कोशिश कर रही हैं, जो कथित तौर पर रैकेट चलाती है.


दक्षिण बंगाल फ्रंटियर, बीएसएफ के डीआईजी अमरीश कुमार आर्य ने कहा, "मानव तस्करी एक जघन्य अपराध है, जो काफी महिलाओं के जीवन को प्रभावित करता है. हमारे सैनिकों को तस्करी और सीमा पार मूवमेंट जैसे अन्य अपराधों का मुकाबला करते हुए मानव तस्करों पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए पर्याप्त रूप से संवेदनशील बनाया गया है. हमारे प्रयास परिणाम दे रहे हैं और दलालों के साथ-साथ तस्करों को पकड़ा जा रहा है और देश के कानून के तहत उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है."


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