Kolkata News: कोलकाता में सुसाइड के मामले बढ़ते देख पुलिस हुई अलर्ट, जारी किये हेल्पलाइन लाइन नंबर
कोलकाता में युवाओं में बढ़ रहे आत्महत्या के मामलों को देखते हुए शहर की पुलिस अलर्ट हो गई है. गौरतलब है कि कोलकाता पुलिस बकायदा सोशल मीडिया पर हेल्पलाइन नंबर जारी कर परामर्श लेने की सलाह दे रही है.
Kolkata News: कोलकाता में युवाओं के बीच आत्महत्या के मामलों में काफी इजाफा हो रहा है. पिछले 24 घंटे में ही शहर में 4 महिलाओं ने सुसाइड कर ली. वहीं आत्महत्या के बढ़के मामलों को देखते हुए महानगर की पुलिस ने फेसबुक और ट्विटर पर हेल्पलाइन नंबर जारी करना शुरू कर दिया है. पुलिस ने उन लोगों से जो किसी तरह के डिप्रेशन से गुजर रहे हैं उनसे हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर कंसल्ट करने की अपील की है. सूत्रों के मुताबिक हर रोजाना सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक उपलब्ध 12 घंटे की इस सेवा का उद्देश्य शहर में आत्महत्या को रोकना है.
सोशल मीडिया पर पुलिस ने की ये अपील
शहर की पुलिस ने एनजीओ लाइफलाइन फाउंडेशन के साथ करार भी किया है और इस उद्देश्य के लिए उनके नंबर शेयर किए हैं. कोलकाता पुलिस के सोशल मीडिया पेजों पर की जा रही पोस्ट में लिखा है,"जीवन अनमोल है. असफलताओं को सफलता की सीढि़यां बनने दें. हार नहीं माने! भावनात्मक समर्थन के लिए सुबह 10 बजे से रात 10 बजे तक सभी 365 दिन 919088030303, 913340447437 पर कॉल करें.“
इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष ने क्या कहा?
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी के अध्यक्ष गौतम साहा ने पुलिस के इस प्रयास की सराहना की और कहा कि "गेटकीपर्स" या आत्महत्या पर विचार करने वाले किसी व्यक्ति की पहचान करने के लिए ट्रेंड लोगों की आवश्यकता है. साहा ने कहा. “शिक्षकों, इमरजेंसी हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स, सामुदायिक नेताओं, पुलिस अधिकारियों और यहां तक कि धार्मिक नेताओं में से कोई भी इस रोल को निभा सकता है. इसके पीछे विचार साइन को पहचानना और व्यक्ति को मनोचिकित्सक या परामर्शदाता के पास भेजना है. ”
आत्महत्या के मामले बढ़ने की क्या है वजह?
वहीं रिपोर्ट के मुताबिक मनोचिकित्सक जे राम ने कहा कि बिजी, शहरी जीवन एक डिस्कनेक्ट और अलगाव की ओर ले जा रहा है जो अक्सर आत्महत्या की प्रवृत्ति का कारण बनता है. उन्होंने कहा कि,“कई युवा अच्छा परफॉर्म करने के लिए जबरदस्त दबाव में हैं. दुर्भाग्य से माता-पिता ही अक्सर इसके लिए जिम्मेदार होते हैं. उन्हें इस बात का एहसास नहीं है कि शिक्षा का परीक्षा में अच्छा करने से कोई लेना-देना नहीं है. दूसरी ओर, युवा जल्द सफलता के लिए उत्सुक हैं और असफलता मिलने पर तनाव का शिकार हो जाते हैं.”
महामारी काल में शहर में आत्महत्याओं के मामलों में हुआ इजाफा
गौरतलब है कि महामारी काल में शहर में आत्महत्याओं के मामलों में काफी इजाफा हुआ है. एनसीआरबी द्वारा साझा किए गए आंकड़े बताते हैं कि कोलकाता में 2018 में आत्महत्या के 162 मामलों के तुलना में 2019 में 181 मामले आए और फिर ये आंकडा 278 हो गया.
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