Durga Puja: दुर्गा पूजा में अब 50 से भी कम दिनों का समय बचा है. लगातार दो सालों तक कोरोना की वजह से लागू रहे प्रतिबंधों के बाद इस बार कोलकाता में दुर्गा पूजा के विशाल आयोजन की तैयारी चल रही है. दुर्गा मां की मूर्तियां बनाने में कारीगर दिन रात एक कर रहे हैं. वहीं पूजा समितियां त्योहार को भव्य बनाने के लिए तैयारियों में जुटी हुई हैं. बता दें कि पिछले दो सालों में कोरोना महामारी के कारण कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की वजह से दुर्गा पूजा का आयोजन नहीं हो सका था. वहीं यूनेस्को (UNESCO) द्वारा इस त्योहार को मिले 'हैरिटेज' टैग के बाद त्योहार को लेकर प्रदेश में खासा उत्साह दिख रहा है.


पर्याप्त मात्रा में ऑर्डर मिलने से मूर्ति कारीगरों की हुई चांदी


इस बार जहां पूजा समितियों ने अपने बजट को बढ़ाया है, वहीं मूर्ति कारीगर भी पर्याप्त मात्रा में काम मिलने की वजह से काफी खुश दिखाई दे रहे हैं. कोलकाता और हावड़ा में लगभग 500 पूजा का प्रतिनिधित्व करने वाले दुर्गोत्सव फोरम के महासचिव शाश्वत बसु ने कहा कि पिछले दो सालों में पूजा के साथ कोई समझौता नहीं हुआ लेकिन कोरोना के कारण इसका आयोजन बड़े पैमाने पर नहीं हो सका,हालांकि इस पर इसका आयोजन जोरशोर से किया जाएगा. यूनेस्को से मिले हैरिटेज टैग ने इसकी शोभा को इस बार और बढ़ा दिया है. मां दुर्गा की मूर्ति बनाने में लगे कारीगर इस बार काफी प्रसन्न नजर आ रहे हैं, इस बार उनके पार इतना काम है कि उन्हें ओवरटाइम करना पड़ रहा है. इससे उनकी अच्छी आमदनी हो रही है. कोलकाता के एक मूर्ति निर्माता कांची पाल दत्ता ने कहा कि पिछले दो साल हमारे लिए बहुत खराब रहे, लेकिन इस बार हमारे पास स्टॉक से ज्यादा ऑर्डर आ चुके हैं. पिछले तीन से चार सप्ताह में हमने नए ऑर्डर लेने भी बंद कर दिए हैं.


 यूनेस्को से मिला दुर्गा पूजा को हैरिटेज टैग


गौरतलब है कि दिसंबर 2021 में, पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार को संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची" में शामिल करते हुए हैरिटेज टैग दिया था.  यूनेस्को ने 1 सितंबर को होने वाले प्री दुर्गा पूजा समारोह में भाग लेने के लिए भी ममता बनर्जी के निमंत्रण को स्वीकार किया था. वैसे तो दुर्गा पूजा का त्योहार अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू होगा, लेकिन लोग बहुत पहले से ही इसे मनाना शुरू कर देते हैं.  एक अधिकारी ने बताया कि पूजा की तैयारियों को लेकर ममता बनर्जी  22 अगस्त को पूजा समितियों के साथ बैठक कर सकती हैं. बता दें कि राज्य में हर साल 37 हजार  सामुदायिक पूजा आयोजित की जाती हैं, जिनमें से 2,500 पूजा कोलकाता में ही होती हैं.


32,377 करोड़ का है दुर्गा पूजा का क्रिएटिव मार्केट


राज्य सरकार द्वारा 20198 में किये गए एक अध्ययन के अनुसार, राज्य में दुर्गा पूजा के आसपास पैदा होने वाले रचनात्मक बाजार का आर्थिक मूल्य 32,377 करोड़ रुपए का है.एक कलाकार मिंटू पाल ने कहा कि इस बार पूजा समितियां अब तक की सबसे बड़ी मूर्तियां बनाने जा रही हैं. सजावट के बाद इन मूर्तियों की ऊंचाई 15-16 फीट हो सकती है. उन्होंने कहा कि दो साल के लंबे अंतराल के बाद इस बार लोगों में इस त्योहार को लेकर काफी उत्साह देखने को मिल रहा है.  इस बार हमें अमेरिका और यूरोप से भी मूर्ति के ऑर्डर मिल रहे हैं.


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