Mumbai News: बॉम्बे HC ने कहा- किसी वर्किंग मां को करियर और बच्चे के बीच चुनाव करने के लिए नहीं कहा जा सकता
बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुे कहा कि मां बन चुकी महिला को अपने करियर और बच्चे के बीच में चुनाव करने के लिए नहीं कहा जा सकता है.
Mumbai News: बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी महिला को उसके बच्चे और करियर के बीच में चुनाव के लिए नहीं कहा जा सकता है. इसी के साथ हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट (Family Court) के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें महिला को नौकरी के लिए अपनी बेटी के साथ पोलैंड (Poland) जाने की इजाजत नहीं दी गई थी. वहीं उच्च न्यायालय (High Court) ने महिला को उसकी नाबालिग बेटी के साथ पोलैंड जाने की अनुमति दे दी है. महिला को पोलैंड में एक सीनियर पोजिशन ऑफर की गई थी.
फैमिली कोर्ट से राहत नहीं मिली को HC में दायर की थी याचिका
गौरतलब है कि फैमिली कोर्ट से राहत न मिलने के बाद महिला ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी कि वह दो साल के लिए पोलैंड जाना चाहती है. महिला ने दावा किया कि उसे उसके बेहतरीन प्रदर्शन की वजह से कंपनी ने पोलैंड में अच्छी पोजिशन ऑफर की है.याचिका में महिला ने ये भी कहा था कि उसके साथ उसकी मां भी जा रही हैं.
महिला का पति से बच्ची की कस्टडी को लेकर विवाद
बता दें कि महिला पेशे से एक इंजीनियर है और 2015 से अपने नौ साल के बच्चे के साथ अलग रह रही है. याचिकाकर्ता महिला और उसके पति के बीच बच्ची की कस्टडी को लेकर विवाद है. पति ने कोर्ट में दावा किया कि महिला को अकेले पोलैंड जाने की अनुमति दी जाए और बच्ची की देखरेख वह करेगा. वहीं हाईकोर्ट ने कहा कि, “ बच्ची की उम्र को ध्यान में रखते हुए, लड़की को अपनी मां के साथ जाना चाहिए", कोर्ट ने आगे कहा, "हमें नहीं लगता कि अदालत एक मां को नौकरी की संभावनाओं से इंकार कर सकती है."
याचिकाकर्ता ने डायवोर्स के लिए भी किया हुआ है आवेदन
याचिकाकर्ता महिला का साल 2010 में विवाद हुआ था. इसके बाद वह एक बेटी की मां बनी. लेकिन पति से घरेलू झगड़े भी होने लगे. जिसके बाद उसने बेटी के साथ अलग रहने का फैसला किया. फिलहाल वह अपने पति से अलग बेटी के साथ रह रही है. महिला ने डायवोर्स के लिए भी फैमिली कोर्ट में आवेदन किया हुआ है.
महिला का अपने बच्चे और करियर के बीच चुनाव करना सही नहीं
जस्टिस भारती डागरे ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि, “बच्ची को पिता के साथ रखना उचित विकल्प नहीं है क्योंकि वह हमेशा से अपनी मां के साथ रहती हुई आई है. महिला के साथ बच्ची को पोलैंड भेजना सही है. निचली अदालत को इसके खिलाफ फैसला नहीं सुनाना चाहिए था.” न्यायमूर्ति ने कहा कि, “महिला की मां भी उसके साथ जा रही है जो बच्ची की देखभाल में पूरी मदद करेंगी. वहीं फैमिली कोर्ट ने इस मामले में एक खास पहलू की अनदेखी की है जो महिला की करियर ग्रोथ से जुड़ा हुआ है. इसलिए महिला को अपने बच्चे और करियर के बीच चुनाव करने के लिए नहीं कहा जा सकता है. हालांकि कोर्ट ने पिता को बेटी से मिलने की अनुमति को बरकरार रखा है.
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