Mumbai: हाजी मस्तान से अरुण गवली तक, ये थे मुंबई के सबसे खतरनाक अंडरवर्ल्ड डॉन, खूनी किस्से जानकर कांप जाते थे लोग
Mumbai Famous Underworld Don: मुंबई शहर पर समय-समय पर कई अंडरवर्ल्ड डॉन राज किए. हाजी मस्तान से लेकर करीम लाला तक ने
Mumbai Famous Underworld Don: मुंबई की सरजमीं से अंडरवर्ल्ड (Underworld) की दुनिया में अब तक ऐसे कई डॉन हुए हैं, जिनके खूनी किस्से सुनकर कांप जाते हैं लोग. भारत की आजादी के बाद मुंबई में अपराधियों ने आतंक मचा दिया था. 70 के दशक में करीम लाला, वरदराजन मुदलियार और हाजी मस्तान नाम के तीन अपराधियों का मुंबई अंडरवर्ल्ड पर सिक्का चलता था. 1960-70 के बीच इन तीनों डॉनों का मुंबई अंडरवर्ल्ड पर हुकूमत चलता था. इन तीनों ने मुंबई को तीन पार्ट में बांट दिया था.
तीनों डॉनों का इलाके बंटे हुए थे. इनका मुंबई में एक कानून चलता था कि कोई किसी के काम में टांग नहीं अड़ाएगा. जब तक तीनों अपने-अपने इलाके में हुकूमत करते थे तब तक अंडरवर्ल्ड में खून-खराबा नहीं होता था. इसी बीच जुर्म की दुनिया में एक और माफिया की एंट्री होती है और इसका नाम था दाऊद इब्राहिम. मुंबई में एक और जुर्म का बादशाह आ गया था जो मुंबई को अपने इशारे पर चलाना चाहता था. मुंबई अंडरवर्ल्ड में दाऊद इब्राहिम के आने के बाद मुंबई की स्थिति बदल गई.
ग्लैमर और अंडरवर्ल्ड को एक साथ खड़ा किया था हाजी मस्तान
1. हाजी मस्तान (Haji Mastan) मुंबई का पहला अंडरवर्ल्ड डॉन (Underworld Don) माना जाता है. हाजी मस्तान ने मुंबई अंडरवर्ल्ड को एक नई पहचान दिया था. उसने ग्लैमर को अंडरवर्ल्ड के साथ लाकर खड़ा कर दिया था. हाजी मस्तान को लोग बाहुबली माफिया तस्कर हाजी मस्तान के नाम से जानते थे. बता दें कि हाजी मस्तान का जन्म तमिलनाडु के कुड्डालोर में 1 मार्च 1926 को हुआ था. 1970 तक हाजी मस्तान मुंबई में अपना एंपायर स्थापित कर चुका था.
मस्तान तमिलनाडु से मुंबई जो बनने आया था, वह उससे ज्यादा बन चुका था. हाजी मस्तान पुरे मुंबई में अपना साम्राज्य फैला चुका था. हाजी मस्तान काफी अमीर था. बाहुबली तस्कर माफिया हाजी मस्तान को सफेद सूट पहनने और मर्सिडीज की सवारी करने का बहुत शौक था. उसे बिदेशी सिगार और सिगरेट पीने का बहुत शौक था. उसके हाथ में हमेशा विदेशी सिगरेट और सिगार दिखाई देता था. हाजी मस्तान ने ही वरदराजन मुदलियार उर्फ वर्धा और माफिया करीम लाला को आगे बढ़ाया था.
अफगानिस्तान से आकर मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया का बना था बाहुबली
2. करीम लाला (Karim Lala) अफगानिस्तान के कुनार प्रांत में 1911 में पैदा हुआ था. मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में उसकी खूब चलती थी. वह मुंबई में तस्करी समेत कई गैर-कानूनी धंधे करता था. करीम लाला को बाहुबली माफिया तस्कर हाजी मस्तान असली डॉन कहा करता था. करीम लाला को अपराध की दुनिया में आगे बढ़ाने वाला भी खुद मुंबई अंडरवर्ल्ड दुनिया का बेताज बादशाह हाजी मस्तान ही था. मुंबई में करीम लाला का काफी प्रभाव था,अपराध की दुनिया में उसकी तूती बोलती थी.
बता दें कि केवल 21 साल के उम्र में करीम लाला पेशावर के रास्ते मुंबई पहुंचा था. इसके बाद उसने यहां अपना धंधा शुरू किया था. वह 1940 तक तस्करी के कामों में अपना दबदबा कायम कर लिया था. इसके बाद उसने मुंबई में जुएं और दारू के अड्डे खोल दिए. करीम लाला के समय ही वरदराजन मुदलियार और बाहुबली हाजी मस्तान मुंबई पर हुकूमत करते थे. तीनों के इलाके बंटे हुए थे, इसलिए खून-खराबा नहीं होता था.
जल्द अमीर बनने की चाहत ने वरदराजन मुदलियार को बना था जुर्म का बादशाह
3. मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में एक और बादशाह था जिसका नाम था वरदराजन मुदलियार (Varadarajan Mudaliar). वरदराजन मुदलियार 1926 में मद्रास प्रेसीडेंसी थूटुकुडी में पैदा हुआ था. यह अपनी जिंदगी में बहुत जल्दी अमीर बनना चाहता था. शुरू में वरदराजन मुदलियार छोटी-मोटी नौकरी करता था बाद में वह मुंबई चला आया. वरदराजन मुदलियार 34 साल की उम्र में मुंबई की ओर रुख किया और वीटी स्टेशन पर कुली का काम करना शुरू कर दिया था. कुली का काम करने के दौरान ही वरदराजन मुदलियार अवैध शराब के कारोबार से जुड़ा. जब वरदराजन मुदलियार मुंबई आया था, उन दिनों मुंबई अंडरवर्ल्ड में हाजी मस्तान और करीम लाला का सिक्का चलता था.
ऐसे में वरदराजन मुदलियार ने अपना धंधा शुरू कर दिया. वरदराजन मुदलियार अपने कारोबार को जल्द से जल्द बढ़ाना चाहता था, जिसके लिए वह मुंबई के डॉन हाजी मस्तान से मिला. हाजी मस्तान वरदराजन मुदलियार के काम से काफी ज्यादा प्रभावित हुआ और हाजी ने वरदराजन को अपने साथ मिला लिया. इसके बाद हाजी मस्तान और वरदराजन दोनों साथ काम करने लगे. इसी दौरान हाजी मस्तान ने वरदराजन को करीम लाला से मिलवा दिया. कुछ ही दिनों में वह मुंबई अंडरवर्ल्ड में अपनी पहचान बना लिया. वरदराजन हत्या की सुपारी लेने से लेकर ड्रग्स की तस्करी करने जैसे मामलों को खुद संभालने लगा. वरदराजन मुदालियर की दिल का दौरा पड़ने से 2 जनवरी 1988 को चेन्नई में मौत हो गई थी.
भारत के अपराधियों की लिस्ट में दाऊद इब्राहिम का नाम सबसे ऊपर
4. मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में एक और डॉन का एंट्री होता है. दाऊद इब्राहिम (Dawood Ibrahim) का भारत के सबसे बड़े अपराधियों की लिस्ट के नाम में सबसे ऊपर है. दाऊद इब्राहिम कई आतंकी संगठनों का भी करीबी है. उसको पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI का संरक्षण मिला हुआ है. दाऊद इब्राहिम 1993 के मुंबई अटैक का मुख्य मास्टरमाइंड था. दाऊद इब्राहिम की बेटी की शादी पाकिस्तानी क्रिकेटर जावेद मियांदाद के बेटे से हुई है. बता दें कि बाहुबली दाऊद के पिता मुंबई पुलिस में हेड कांस्टेबल थे.
दाऊद ने अपराध की दुनिया में अपने भाई शब्बीर के साथ मिलकर तस्करी से शुरू किया और यहीं से शुरू हुई मुंबई में खूनी जंग.दाऊद के अपराध की दुनिया में कदम रखते ही करीम लाला के काम में दखल पड़ने लगा. दोनों के बीच झगड़ा शुरू हो गया. उस समय का करीम लाला मुंबई पर राज करता था. उसने दाऊद के भाई शब्बीर की हत्या करवा दी. इसके बाद दोनों गैंगों के बीच खूनी गैंगवार शुरू हो गया. दाऊद इब्राहिम के सर पर खून सवार था. वह अपने भाई का बदला लेना चाहता था.
मुंबई अंडरवर्ल्ड में आग लग गई थी. अंडरवर्ल्ड की दुनिया के राजा करीम लाला के भाई रहीम खान को दाऊद इब्राहिम के साथियों ने कत्ल कर दिया. करीम लाला के भाई की मौत की खबर ने करीम लाला को तोड़ के रख दिया था. इसके बाद कभी मुंबई पर हुकूमत करने वाला करीम लाला ने दाऊद से दोस्ती कर ली और जुर्म की दुनिया को छोड़ दिया. इसके साथ ही 1980 में जुर्म का बादशाह और हाजी मस्तान का साथी वरदराजन ने जुर्म की दुनिया को अलविदा कह चुका था. बता दें कि 1977 में जयप्रकाश नारायण के आंदोलन से प्रभावित होकर हाजी मस्तान ने भी अपराध की दुनिया को छोड़कर राजनीत की दुनिया में कदम रख दिया था. इसके बाद मुंबई में केवल दाऊद ही अकेला बाहुबली बचा था.1993 के मुंबई धमाकों से पहले ही दाऊद मुंबई से दुबई चला गया था.
जब मुंबई छोड़ चुके थे सभी अंडरवर्ल्ड डॉन, तब हुई जुर्म की दुनिया में गवली की एंट्री
5. अरुण गवली (Arun Gawli) का जन्म 17 जुलाई 1955 को महाराष्ट्र के अहमदनगर के कोपरगांव में हुआ था. उसके पिता गुलाबराव का काम करके घर का काम चलाते थे. जब सभी अंडरवर्ल्ड माफिया मुंबई छोड़ चुके थे तब अपराध की दुनिया में सिर्फ दो खिलाड़ी बचे थे, अरुण गवली और अमर नाइक. एक मुठभेड़ में पुलिस ने अमर नाइक को मार गिराया था और उसके माफिया भाई अश्विन नाइक को गिरफ्तार कर लिया गया था. जिसके बाद मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया में केवल अरुण गवली अकेला बाहुबली बचा था.
गवली डैडी के नाम से मशहूर था. मुंबई (Mumbai) में उसने अपने नाम का सिक्का चलाना शुरू कर दिया. उसको रोकने वाला कोई भी नहीं था. वह अकेला मुंबई अंडरवर्ल्ड की दुनिया का बेताज बादशाह बचा था. मुंबई पर उसका राज था. वह मुंबई की दगली चाल में रहता था. उसने दगली चाल को एक किला में बदल दिया था. जिसमें 15 फीट के दरवाजे लगे थे. अरुण के लोग बंदूक के साथ हमेशा दगली में तैनात रहते थे. उसके गैंग में लगभग 800 लोग थे. वह अपने किला में बैठकर मुंबई में हुकूमत करता था और हफ्ता, रंगदारी वसूला करता था. उसके नाम से ही मुंबई के बड़े से बड़े लोग कांप जाते थे. गवली को सुपारी किंग भी कहा जाता था. 1 दशक में गवली के कई दुश्मन पैदा हो गए थे.
इसके बाद पुलिस (Police) ने उस पर शिकंजा कसना शुरू कर दी थी. तब बाहुबली गवली को सिर्फ एक रास्ता सुझा, राजनीति में कूदना. जुर्म का बेताज बादशाह गवली ने 2004 में अखिल भारतीय सेना नाम की एक पार्टी बनाई. इसके बाद उसने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अपने कई कैंडिडेट उतारे. अरुण गवली को लगता था कि वह राजनीति में आकर विधायक बन कर पुलिस की नजरों से बच जाएगा पर ऐसा नहीं हुआ. गवली ने 2008 में शिवसेना के कॉरपोरेट कमलाकर जामसंडेकर की सुपारी ली और उसकी हत्या करवा दी. इस केस में उसको उम्र कैद की सजा सुनाई गई. गवली के जेल जाते ही पुलिस ने एनकाउंटर ऑपरेशन अभियान चलाया और गावली के पूरे गैंग को साफ कर दिया. जुर्म की दुनिया का बाहुबली अरुण गवली अपने गुनाहों की सजा जेल में काट रहा है. जाहिर तौर पर उसने अपराध को छोड़ दिया है, फिर भी वह मुंबई में रहने वाला एकमात्र डॉन है.
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