Mumbai Gateway of India: गर्मी हो या सर्दी हो या वसंत या मानसून, गेटवे ऑफ इंडिया (Gateway of India) मुंबईकरों के लिए पसंदीदा हैंगआउट स्पॉट में से एक है. यह मुंबई का टॉप टूरिस्ट अट्रैक्शन में भी गिना जाता है और पूरे साल यहां पर्यटकों की भीड़ लगी रहती है. 100 से ज्यादा वर्षों के इतिहास के साथ, गेटवे ऑफ इंडिया को मुंबई का ताजमहल माना जाता है. ये जमीन से 26 मीटर ऊंचाई है. यहां छत्रपति शिवाजी और स्वामी विवेकानंद की मूर्तियां स्थापित की गई हैं. कहने की जरूरत नहीं है कि गेटवे ऑफ इंडिया की यात्रा के बिना आपकी मुंबई की यात्रा पूरी नहीं मानी जा सकती. चलिए यहां जानते हैं मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया से जुड़ी खास बातें
कब हुआ था गेटवे ऑफ इंडिया का निर्माण
इसका निर्माण अरब सागर के ओर समुद्र के किनारे अपोलो बंदरगाह क्षेत्र में 1911 में हुआ था. तब इंग्लैंड के राजा जॉर्ज पंचम और उनकी पत्नी मेर्री के भारत आगमन पर थे. हालांकि उनका दुर्भाग्य रहा कि वे केवल इसका मॉडल ही देख सके जो जार्ज विंटेट ने तैयार किया था. मॉडल के अनुसार इसका निर्माण 1924 में पूरा हुआ था. हालांकि इसकी नींव 31 मार्च 1911 में ही रख दी गई थी.
गेटवे ऑफ इंडिया का आर्किटेक्चर
आठ मंजिल के बराबर ऊंचाई वाले गेटवे ऑफ इंडिया इंडो सरासेनिक वास्तुशिल्प कला का एक उदाहरण है. जबकि शानदार मेहराब में मुस्लिम स्थापत्य शैली का प्रभाव है, सजावट हिंदू शैली को दर्शाती है. स्मारक का निर्माण पीले बेसाल्ट और प्रबलित कंक्रीट के संयोजन का उपयोग कर किया गया है.
क्या है गेटवे के भव्य मेहराब की खासियत
गेटवे के भव्य मेहराब की ऊंचाई 85 फीट है जबकि केंद्रीय गुंबद की ऊंचाई 83 फीट और व्यास 48 फीट है. गेटवे के मेहराब के दोनों ओर बड़े-बड़े हॉल हैं जिनमें एक बार में 600 लोग आसानी से बैठ सकते हैं.रात के समय यह स्मारक और भी शानदार हो जाता है जब इसे रोशन किया जाता है. यह अरब सागर और ताज होटल के शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है जो पास में ही स्थित हैं. वर्तमान में, स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के कंट्रोल में है.
गेटवे ऑफ इंडिया के अनजाने तथ्य
- भले ही स्मार क के निर्माण का विचार क्वीन मैरी और किंग जॉर्ज पंचम की यात्रा का सम्मान करना था, लेकिन इसका निर्माण केवल 1915 में शुरू हुआ था
- विशाल संरचना का निर्माण 1911 में 2 मिलियन रुपयों की लागत से किया गया था. हालांकि, धन की कमी के कारण, गेटवे के पास जाने वाली सड़क का निर्माण कभी नहीं किया गया था.
- जब ब्रिटिश साम्राज्य के अंतिम सैनिकों ने स्वतंत्रता के बाद भारत छोड़ दिया, तो वे इस संरचना से होकर गुजरे, जिससे भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के प्रभुत्व का अंत हो गया.
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