Mumbai Crime News: मुंबई की वाशी पुलिस ने आठ अभिभावकों से उनके बच्चों को उनकी पसंद के कॉलेज में एमबीबीएस की कंफर्म सीटें दिलाने का वादा कर लगभग 2.1 करोड़ रुपये ठगने वाले गिरोह के 6 सदस्यों के खिलाफ केस दर्ज किया है. फिलहाल सभी आरोपी फरार हैं और पुलिस उनकी तलाश कर रही है. वी


पुलिस ने बताया कि भांडुप निवासी प्रदीप मोरे को आरोपियों ने 12 लाख रुपये का चूना लगाया था उसी के बाद गिरोह के बारे में पता चला. जांच के दौरान ये भी पता चला कि गिरोह, वाशी में एक कार्यालय लेकर काम कर रहा था और ये अब तक सात अन्य लोगों के साथ भी धोखाधडी कर चुके हैं.


पुलिस ने की ये अपील
वहीं पुलिस ने कहा कि अगर और माता-पिता हैं जिनके साथ गिरोह ने धोखाधड़ी की है, तो उन्हें आगे आना चाहिए और शिकायत दर्ज करानी चाहिए. उन्होंने कहा कि जांच का मुख्य बिंदु यह है कि गिरोह को मेडिकल लेने के इच्छुक छात्रों की सूची कैसे मिली.


पीड़ित को फरवरी में आया था एक शख्स का फोन
वहीं पीड़ित प्रदीप मोरे ने अपनी शिकायत में कहा है कि, फरवरी में, उन्हें एक शख्स का फोन आया था,उसने खुद को 'मेडिको हेल्प डेस्क' से होने का दावा किया था. फोन करने वाले ने महाराष्ट्र कॉलेज में 90 लाख रुपये और कर्नाटक कॉलेज में 95 लाख रुपये में एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन कराने का आश्वासन दिया था. इसके बाद प्रदीप ने रत्नागिरी कॉलेज के बारे में पूछताछ की, तो शख्स ने कहा कि इसके लिए उन्हें फीस के रूप में 58 लाख रुपये और कैपिटेशन चार्ज के रूप में 18 लाख रुपये का भुगतान करना होगा. इसके बाद जालसाज ने मोरे को अपने वाशी कार्यालय आने के लिए कहा था.


मैनेजमेंट कोटे के तहत कॉलेज में एडमिशन दिलाने का दिया था झांसा
शिकायतकर्ता ने कहा, “मैं वाशी में हेल्प डेस्क कार्यालय गया और एक राजकुमार नाम के शख्स से मिला, उसने मुझे कार्यालय के प्रमुख राकेश जाधव से मिलवाया. उन्होंने मेरे बेटे की मार्कशीट, आधार कार्ड और प्रवेश प्रक्रिया के लिए तस्वीरें मांगी थी. ” इसके बाद, “21 मार्च को, मैं दस्तावेज जमा करने के लिए अपने बेटे के साथ फिर से कार्यालय गया. इस दौरान जाधव ने दावा किया कि मेरे बेटे को मैनेजमेंट कोटे के तहत वांछित कॉलेज में प्रवेश मिलेगा, जिसके लिए हमें एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करना था और हेल्प डेस्क कार्यालय को चेक द्वारा 12.20 लाख रुपये का भुगतान करना था. ”. शिकायत के अनुसार इस मीटिंग में वे एक और व्यक्ति, प्रवीण गोयल से मिले थे.


आरोपियों ने 70 लाख रुपये कैपिटेशन फीस के तौर पर मांगे थे
मोरे ने इसके बाद चेक साइन करके दे दिया जिसे 23 मार्च को कैश करा लिया गया था. इसके बाद जाधव और गोयल ने फिर मोरे को कहा कि उन्हें एडमिशन के लिए 70 लाख रुपये कैपिटेशन फीस और 10 लाख रुपये नकद देने होंगे. लेकिन इस बार मोर ने पहले एडमिशन के कंफर्मेशन पर जोर दिया. जिसके बाद आरोपियो ने  उन्हे और उनके बेटे को दस्तावेजों के साथ 5 अप्रैल को रत्नागिरी में कॉलेज का दौरा करने के लिए कहा था.


इसके बाद जब प्रदीप रत्नागिरी गए और राजकुमार से संपर्क किया, तो उन्हें बताया गया कि वे देर से आए हैं फिर,उनके सभी फोन नंबर नॉट रिचेबल हो गए. मोरे पूरे दिन इंतजार करने के बाद घर लौट आये. अगले दिन, वह उनके वाशी कार्यालय गये तो वह बंद था. इलाके में पूछताछ करने पर पता चला कि ये लोग धोखेबाज हैं और उन्होंने कुछ अन्य माता-पिता को भी धोखा दिया है.


छात्रों की कॉन्टेक्ट डिटेल्स आरोपियों को कैसे मिली
बाद में गिरोह के शिकार बने कम से कम सात अन्य पीड़ितों के बारे में पता चला. “इस धोखाधड़ी में छह लोग शामिल हैं, और दो से तीन लोगों ने पीड़ितों से संपर्क करने के लिए उपनामों का इस्तेमाल किया. वाशी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक रमेश चव्हाण ने कहा, यह जांच का विषय है कि उन्हें उन छात्रों की कॉन्टेक्ट डिटेल्स कैसे मिला, जिन्होंने विज्ञान में बारहवीं कक्षा पास की है और मेडिकल सीट की तलाश कर रहे हैं. वाशी पुलिस ने आरोपियों की पहचान राकेश जाधव, कार्तिक, सुदीप, प्रवीण गोयल, सिद्धि पेडनेकर उर्फ ​​रुचिका, श्रवण कुमार उर्फ ​​अतुल तिवारी के रूप में की है. फिलहाल पुलिस आरोपियों की तलाश कर रही है.


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