Living Will: भारत में ज्यादातर लोग अपने आखिरी दिनों के बारे में ज्यादा विचार नहीं करते हैं. किसी व्यक्ति के अंदर मृत्यु के ख्याल का डर स्वाभाविक है. इसी कारण भारत में हेल्थ इन्शुरन्स के काफी कम ग्राहक हैं. लेकिन ऐसा करना कभी-कभी आपके लिए यातना का कारण भी बन सकता है.  इस मानसिकता में बदलाव लाने के लिए मुंबई के डॉक्टर निखिल दातार एक उद्धारण बने हैं. इन्होने अपने अंतिम दिनों के लिए लिविंग विल बनवाई है ,आइये जानते हैं क्या होता है लिविंग विल?


क्या होता है लिविंग विल ?


लिविंग विल असल में एक डॉक्यूमेंट होता है जिसमें कोई व्यक्ति यह बताता है कि वह भविष्य में गंभीर बीमारी की हालत में किस तरह का इलाज कराना चाहता है. कुछ साल पहले सुप्रीम कोर्ट ने इज्जत के साथ मरने के अधिकार को मूलभूत अधिकार का दर्जा दे दिया था. इसके बाद लिविंग विल बनाने को भी मंजूरी दे दी गयी . 


क्यों बनवाया जाता है लिविंग विल ?


यह इसलिए बनाया जाता है, जिससे गंभीर बीमारी की हालत में अगर व्यक्ति खुद फैसले लेने की हालत में नहीं रहे तो पहले से तैयार दस्तावेज के हिसाब से उसके बारे में फैसला लिया जा सके. 


लिविंग विल हैं मूलभूत अधिकार 


सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च, 2018 को एनजीओ कॉमन कॉज द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर लिविंग विल पर फैसला सुनाया था. अदालत ने लिविंग विल और निष्क्रिय इच्छामृत्यु को एक मौलिक अधिकार मानते हुए कानूनन वैध ठहराया था. कोर्ट ने ये भी कहा कि निर्देश और दिशानिर्देश तब तक लागू रहेंगे जब तक कि संसद इसके लिए कोई कानून नहीं लाती है. हालांकि, लिविंग विल की जटिल प्रक्रिया के कारण लोग अपने मौलिक अधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पा रहे थे. इसलिए, शीर्ष अदालत ने इस साल लिविंग के दिशा-निर्देशों को अधिक व्यावहारिक और कम बोझिल बनाने के प्रयास में अपने पूर्व के दिशा-निर्देशों को संशोधित भी किया है.


भारत का पहला Notarized Living Will 


दरअसल इस डॉक्टर ने अपनी एक लिविंग विल बनवाई है. मुंबई के इस डॉक्टर का नाम निखिल दातार है. ये लिविंग विल जीवन के अंतिम दिनों में काफी काम आती है.


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