Mumbai News: ऐसे कई भारतीय शहर हैं, जिनके नाम रखने के पीछे एक रोचक कहानी है. ऐसी ही एक जगह है कुर्ला (Kurla). सपनों की नगरी मुंबई (Mumbai) का यह इलाका आज उद्योगों की वजह से काफी मशहूर है. यहां सबसे बड़ा रेलवे स्‍टेशन भी है. लेकिन आप जानते हैं कि इसका नाम केकड़ों पर क्यों पड़ा? आइए, इस बारे में जानते हैं. 


(Straying Around) नाम से मशहूर इंटरनेट ब्लॉग ने इसके पीछे की कहानी बताई है. ब्लॉग में बताया कि कैसे मुंबई के कुर्ला का नाम ‘केकड़े’ की वजह से पड़ा है. जब मुंबई बॉम्बे हुआ करता था, तब इस इलाके में काफी पानी जमा हो जाया करता था. पूरा क्षेत्र दलदल में तब्‍दील हो जाता था. इसकी वजह से यहां भारी मात्रा में केकड़े पैदा हो जाते थे. केकड़े को मुंबई की क्षेत्रीय भाषा मराठी में ‘कुर्ली’ कहते हैं. इसलिए इस पूरे इलाके का नाम कुर्ली पड़ गया. समय के साथ, लोग भी इस इलाके को कुर्ला कहकर बुलाने लगे. 


कुर्ला और भारतीय रेल का इतिहास


बता दें कि कुर्ला मुंबई का एक उपनगर है. 1534 से 1782 तक इस इलाके में पुर्तगालियों का कब्जा था. बाद में एक समझौते हुआ जिसे 1782 की सालबाई की संधि कहा जाता है. इस करार की वजह से कुर्ला को ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) को सौंप दिया गया. खास बात यह है कि 1890 तक ब्रिटिश राज के दौरान बॉम्बे और ठाणे के बीच ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे का कुर्ला एक प्रमुख स्टेशन था, जो 1853 में ब्रिटिश भारत में पहली रेलवे लाइन थी. अपने ऐतिहासिक महत्व को बरकरार रखते हुए, कुर्ला में आज भारत का सबसे बड़ा रेलवे स्‍टेशन है.


यहां के पत्थरों से बनी प्रसिद्ध विरासत इमारतें 


उद्योगों से पहले कुर्ला पत्थर की खदानें की वजह से जाना जाता था. इन पत्थरों का इस्‍तेमाल शहर की अधिकांश प्रसिद्ध विरासत इमारतों जैसे प्रिंस ऑफ वेल्स संग्रहालय और जनरल पोस्ट ऑफिस के निर्माण में किया गया है. बीसवीं शताब्दी की शुरुआत में कुर्ला मिल उद्योग के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में विकसित हुआ. यहां दो बड़ी कपास मिलें थीं, जिनसे वहां की अधिकतर आबादी संबंधित थी. इस उपनगर को सालों पहले इसकी कुव्यवस्था के चलते ’कुर्ली’ नाम पड़ा था, पर आज यह एक सुव्‍यवस्‍थ‍ित शहर है जहा लगभग सारी सुविधाएं मौजूद हैं.


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