Mumbai News: मुंबई में कॉलर ने बम की फर्जी कॉल कर पुलिस और GRP के कई घंटे किए खराब, हिरासत में एक संदिग्ध
मुंबई के रेलवे स्टेशनों पर बम की फर्जी कॉल ने पुलिस और जीआरपी को घंटे उलझाए रखा. इस दौरान सुरक्षा एजेंसियों को जांच में कई घंटे और संसाधन खर्च करने पड़े.
Mumbai News: शहर में अलग-अलग जगहों पर बम फटने की सूचना देने वाले एक फर्जी कॉलर ने मंगलवार को कई घंटों तक जीआरपी (GRP) और मुंबई पुलिस (Mumbai Police) को उलझाए रखा. बताया जा रहा है कि फर्जी कॉलर ने शहर पुलिस के मुख्य कंट्रोल रूम (Main Control Room) को करीब दो दर्जन बार फोन किया. हालांकि फोन आते ही अलर्ट हुई जीआरपी और मुंबई पुलिस को कुछ भी अप्रिय नहीं मिला. लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को जांच में कई घंटे और संसाधन खर्च करने पड़े.
भांडुप से GRP ने एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है
गौरतलब है कि भांडुप से जीआरपी की क्राइम ब्रांच ने एक संदिग्ध को हिरासत में लिया है हालांकि जांचकर्ता अभी भी इस बात का पता लगा रहे हैं कि क्या उसने ही फर्जी कॉल की थी? दरअसल बता दें कि मंगलवार को लगभग 1 बजकर 55 मिनट पर शहर पुलिस के मुख्य नियंत्रण कक्ष ने सीएसएमटी जीआरपी चौकी को एक गुमनाम कॉल के बारे में एक वायरलेस मैसेज भेजा था. फोन करने वाले ने बताया कि भायखला स्टेशन पर चार बम रखे हुए थे और वे तड़के 3.40 बजे फटेंगे.
इसके बाद सीएसएमटी जीआरपी चौकी से कर्मी भायखला पहुंचे और वहां मौजूद कर्मचारियों की जांच करने में मदद करने लगे. जल्द ही शहर के भायखला और अग्रीपाड़ा पुलिस थानों के पुलिसकर्मियों, बम डिटेक्शन एंड डिस्पोजल स्क्वॉड और मुंबई पुलिस के कैनाइन दस्ता भी जांच में शामिल हो गए.इस दौरान भायखला स्टेशन पर प्लेटफॉर्म एक से चार के बीच हर इंच को स्कैन किया गया लेकिन कुछ भी संदिग्ध नहीं मिला.
अज्ञात फोनकर्ता ने अलग-अलग जगहों पर बम होने की सूचना दी थी
सूत्रों ने बताया कि बाद में अज्ञात फोन करने वाले ने मुख्य नियंत्रण कक्ष को फोन किया और दावा किया कि परेल स्टेशन पर बम रखे गए हैं. इसके बाद, उसने कहा कि बम दादर स्टेशन पर हैं और लास्ट में उसने कहा कि बम बांद्रा में एक वरिष्ठ राजनेता के घर पर रखे गए हैं. चूंकि पुलिस कोई चांस नहीं लेना चाहती थी इसलिए सभी इलाकों में चेकिंग की गई.
45 साल के मजदूर को लिया गया हिरासत में
वहीं जब कुछ भी अनहोनी नहीं मिली तो फोन करने वाले का फोन नंबर भांडुप से ट्रैक कर लिया गया. इसके बाद जीआरपी ने एक 45 वर्षीय मजदूर जिसके नाम पर फोन नंबर दर्ज था, उसे उठा लिया. लेकिन, उसने जांचकर्ताओं को बताया कि उसका हैंडसेट किसी ने चुरा लिया था और उसके द्वारा कोई भी फर्जी कॉल नहीं की गई थी. वहीं एक अधिकारी ने कहा, "हम टेक्निकल इंवेस्टिगेशन के जरिए पुष्टि कर रहे हैं कि क्या वह सच कह रहा है."
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