Mumbai News: मुंबई में एक 40 वर्षीय आदिवासी, विजय काकवे पर शनिवार को पवई झील में मगरमच्छ ने हमला कर दिया था. हालांकि किस्मत अच्छी थी कि वह मगरमच्छ के हमले के बावजूद बच गया. दरअसल काकवे शनिवार को पवई झील में मछली पकड़ने गया था. इसी दौरान मगरमच्छ ने उसके पैर पर हमला कर दिया जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गया. उसे घाटकोपर के राजावाड़ी अस्पताल ले जाया गया जहां अब वह खतरे से बाहर है.
वहीं प्रकृति प्रेमियों और समाजिक कार्यकर्ताओं ने एक बार फिर कहा कि अगर पवई झील के किनारे बने रैंप को गिरा दिया जाता तो इस मगरमच्छ के हमले से बचा जा सकता था.
झील के चारो और लगाए जाएं और ज्यादा वार्निंग साइनबोर्ड- एक्टिविस्ट
‘सेव पवई लेक’ एक्टिविस्ट तबरेज़ सैयद ने कहा, "वर्ष के इस समय के दौरान, मगरमच्छ पवई झील के बगल में नरम मिट्टी पर अपने अंडे देते हैं. पहले से ही, झील के दूसरी तरफ, रेनेसेंस होटल के नजदीक बहुत सारी निर्माण गतिविधियां हो चुकी हैं. इसके अलावा, कई पिकनिकर्स झील के पास पार्टियां करते हैं, जो समुद्री प्रजातियों को परेशान करती हैं. मैं व्यक्तिगत रूप से काकवे को राजावाड़ी अस्पताल ले गया और डॉक्टरों से उनके पैर का इलाज करने के लिए कहा क्योंकी उनके पैर से काफी खून बह रहा था. " वहीं एक्टिविस्ट ने फिर से बीएमसी और फॉरेस्ट अधिकारियों से झील के चारों ओर ज्यादा चेतावनी साइनबोर्ड लगाने के लिए कहा है ताकि लोगों को झील के करीब आने से रोका जा सके.
BMC ने झील के संरक्षण में मदद के लिए नही की कोई कार्रवाई
वहीं तबरेज ने कहा कि, हाईकोर्ट ने हाल ही में नगर निगम को साइकिल ट्रैक के उद्देश्य से अब तक किए गए कंस्ट्रक्शन से छुटकारा पाने का निर्देश दिया था, क्योंकि नागरिक और कार्यकर्ता ऐसी किसी भी परियोजना के खिलाफ हैं. हालांकि, अभी तक बीएमसी द्वारा झील के संरक्षण में मदद के लिए ऐसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है."
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