Mumbai Malaria Cases: मुंबई में बजी खतरे की घंटी! डेगू और मलेरिया के बढ़े केस, बारिश रूकने के बाद और खराब हो सकते हैं हालात
मुंबई में लगातार हो रही बारिश की वजह से कई बीमारियों के बढ़ने का खतरा भी पैदा हो गया है. बीएमसी के लेटेस्ट अपडेट के मुताबिक जुलाई के पहले तीन दिनों में डेंगू और मलेरिया के मामलों में इजाफा हुआ है.
Mumbai Malaria: मुंबई (Mumbai) में पिछले कई दिनों से भारी बारिश हो रही है. इस कारण कई इलाकों में जलभराव भी हो गया है. वहीं बारिश के इस मौसम में अब मलेरिया-डेंगू जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है. गौरतलब है कि बीएमसी (BMC) अधिकारियों ने मंगलवार को कहा कि पूरे मुंबई में बारिश के साथ ही डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों के मामले भी बढ़ रहे हैं. लेटेस्ट अपडेट के अनुसार शहर में, जुलाई के पहले तीन दिनों में गैस्ट्रोएंटेराइटिस के 49 मामले, मलेरिया के 39 मामले और डेंगू के सात मामले सामने आए हैं. ये भी कहा गया है कि वार्ड ई (रे रोड और मदनपुरा क्षेत्र) और वार्ड एच ईस्ट (इंदिरा नगर, गाओंदेवी और वकोला पाइपलाइन जैसे क्षेत्रों) में डेंगू के मामले बढ़ रहे हैं.
जून में मुंबई (Mumbai) में कितने आए थे डेंगू और मलेरिया के मामले
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक बीएमसी के एग्जीक्यूटिव हेल्थ ऑफिसर डॉ मंगला गोमारे ने कहा कि जून में शहर में मलेरिया के 350 मामले, डेंगू के 39 मामले और गैस्ट्रोएंटेराइटिस के 543 मामले दर्ज किए गए थे. वहीं डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू के मामले बढ़ने लगे हैं, लेकिन अभी यह कोई बड़ी चिंता की बात नहीं है. मरीन लाइन्स के पास बॉम्बे अस्पताल के डॉ गौतम भंसाली ने कहा, "हालांकि, बारिश में एक बार ब्रेक होने के बाद, मच्छरों का प्रजनन बढ़ेगा क्योंकि मलेरिया और डेंगू जैसी बीमारियों का संचरण होगा." लगातार बारिश मच्छरों के अंडे और लार्वा को धो देती है, लेकिन जब बारिश बंद हो जाती है तो वे वहीं बढ़ने लगते हैं.
बच्चों में बढ़े वायरल बुखार के मामले
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ विजय येवाले ने कहा कि बच्चों में वायरल बुखार के मामले बढ़े हैं. येवाले ने कहा, "हम बच्चों को कोविड और एच1एन1 या फ्लू या कुछ श्वसन वायरस के कारण होने वाले बुखार के लिए टेस्ट करते हैं."
डॉक्टरों ने लोगों से की ये अपील
डॉक्टरों ने बारिश की वजह से हुए जलभराव में उतरने वाले लोगों से लेप्टोस्पायरोसिस से सावधान रहने की भी अपील की है. दरअसल ये एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है जो चूहों, कुत्तों और मवेशियों जैसे जानवरों के यूरिन से फैलता है. गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से, बीएमसी ने बाढ़ के पानी से गुजरने वाले लोगों से अपील की है कि वे एक्सपोजर के 72 घंटों के भीतर एक निवारक एंटीबायोटिक डोज जरूर ले लें.
डॉक्टरों ने क्या दी सलाह
बीएमसी अस्पताल के एक डॉक्टर ने कहा कि जोड़ों के दर्द, बुखार, ठंड लगना, खांसी, गले में खराश, थकान और नाक बहने वाले किसी भी व्यक्ति को मानसून की बीमारियों की जांच करानी चाहिए.
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