Mumbai News: मुंबई में स्पेशल पॉस्को कोर्ट ने एक 23 साल के सेल्समैन को साड़ी स्टोर में ट्रायल के दौरान एक 17 साल की लड़की से दो बार छेड़छाड़ करने के आरोप में तीन साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई. आरोप है कि सेल्समैन ने साड़ी ड्रेप करने के दौरान नाबालिग लड़की का यौन शौषण किया था.
नाबालिग की गवाही अपराध साबित करने के लिए काफी- कोर्ट
विशेष न्यायाधीश अनीस एजे खान ने आरोपी दत्ता सालुंखे के बचाव को खारिज कर दिया. आरोपी ने कहा था कि बच्ची की मां ने डिस्काउंट के ऑफर को ठुकराए जाने के बाद उसे झूठे आरोप में फंसाया था. अदालत ने कहा कि नाबालिग का बयान भरोसेमंद था. स्पेशल जज ने कहा कि, “रिकॉर्ड में ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे यह साबित हो कि उसे कुछ सिखाया गया. इस प्रकार पीड़ित के बयान को समग्र रूप से लिया जाना चाहिए.यह प्रत्यक्ष साक्ष्य है..उनकी एकमात्र गवाही विश्वसनीय और पर्याप्त संदेह से परे आरोपी के अपराध को स्थापित करने के लिए काफी है. ” बता दें कि आरोपी पहले जमानत पर था लेकिन कोर्ट के फैसला सुनाए जाने के तुरंत बाद उसे हिरासत में ले लिया गया.
2016 की है घटना
बता दें कि अभियोजन पक्ष के गवाहों में नाबालिग, उसकी मां और जांच अधिकारी शामिल थे. नाबालिग ने अदालत को बताया कि 10 दिसंबर 2016 को शाम करीब छह बजे वह अपनी मां के साथ विक्रोली कपड़े की दुकान पर गई थी. उसने कहा कि उसने दो साड़ियां सिलेक्ट की थी और आरोपी से उन्हें ड्रेप करने की रिक्वेस्ट भी की थी. नाबालिग ने कहा कि पहली साड़ी ड्रेप करते समय आरोपी ने उसे गलत तरीके से छुआ. हालांकि उसने इसकी शिकायत नहीं की थी क्योंकि उसे लगा था कि शायद उसने उसे गलती से छुआ था.
नाबालिग ने क्या लगाया था आरोप?
नाबालिग ने कहा कि जब वह दूसरी साड़ी पहन रही थी तो आरोपी ने उसे फिर छुआ, उसने कहा कि उसने महसूस किया कि उसने उसके साथ छेड़छाड़ की थी लेकिन उसने तुरंत अपनी मां को इसका खुलासा नहीं किया. हालांकि खरीदारी के बाद जैसे ही वह दुकान से निकली तो उसने अपनी मां को आपबीती सुनाई. इसके बाद मां-बेटी वापस दुकान पर गईं और दुकान मालिक को इसकी सूचना दी. नाबालिग को याद आया कि दुकान मालिक ने आरोपी की ओर से माफी मांगी थी. इसके बाद वे वापस घर गए और अपने पिता को आपबीती सुनाई. इसके बाद परिजन थाने पहुंचे और शिकायत दर्ज कराई थी.
आरोपी ने क्या कहा?
वहीं आरोपी ने दावा किया कि दुकान में जगह नहीं थी और इसलिए ड्रेस ट्रायल पॉसिबल नहीं था. हालांकि, अदालत ने कहा कि जांच और सुनवाई के दौरान दर्ज किए गए नाबालिग के बयान की स्टडी करने से पता चलता है कि उसने लगातार कहा था कि आरोपी ने एक बार नहीं बल्कि दो बार उसकी मर्यादा भंग की है. अदालत ने कहा, "मेरा मानना है कि पीड़िता का सबूत विश्वसनीय भरोसेमंद है."
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