Mumbai News: मुंबई का महालक्ष्मी मंदिर जल्द ही उन मंदिरों की श्रेणी में आ सकता है जिनके गुंबद शुद्ध सोने से बनाए गए हैं. दरअसल ओमान के एक व्यवसायी एस पेरियासामी ने महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पवित्र त्रिमूर्ति देवियों के प्रति अपनी आपार श्रद्धा दिखाते हुए महालक्ष्मी मंदिर के गुंबद को 10 करोड़ रुपये के सोने के साथ इलेक्ट्रोप्लेट करने की पेशकश की है.


पोजेक्ट को सैद्धांतिक मंजूरी दी जा चुकी है


टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक अपनी इस इच्छा की पूर्ति के लिए ओमान व्यवसायी ने श्री महालक्ष्मी मंदिर ट्रस्ट से संपर्क करने के लिए शंकराचार्य कांची कामकोटि पीठम के हस्तक्षेप की मांग की है. वहीं ट्रस्ट के अधिकारियों के अनुसार, परियोजना को पहले ही सैद्धांतिक मंजूरी दी जा चुकी है. पीतम और एस पेरियासामी की ओर से ट्रस्ट के अधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे बी श्रीधर के मुताबिक, यह 2008 के आतंकवादी हमलों के दौरान ओमान में नौकरी के लिए मुंबई से सुरक्षित निकलने के बाद ओमान व्यवसायी का भगवान के प्रति ग्रेटिट्यूड है.”


क्यों ओमान व्यवसायी ने महालक्ष्मी मंदिर को लिए दिए 10 करोड़


बता दें कि 2008 में नौकरी के लिए, पेरियास्वामी को ओमान जाना था. इसलिए वह ओमान की फ्लाइट लेने के लिए मुंबई आए थे. लेकिन इसी दौरान 2008 का मुंबई बम धमाका हुआ.उड़ानें फिर से शुरू होने तक वह एक पखवाड़े से अधिक समय तक मुंबई में फंसे रहे. वहीं नौकरी न चली जाए इस डर से पेरियास्वामी 12,000 रुपये में ही काम करने के लिए तैयार हो गए थे जबकि चार वैकेंसी के लिए ऑफर की गई सैलरी 32,000 रुपये थी.


इसके बाद वह ओमान के लिए रवाना हुए और कुछ सालों के बाद ही पेरियास्वामी ने वहां एक छोटा बिजली ट्रांसफार्मर व्यवसाय शुरू कर दिया जो बाद में एक बड़े उद्यमी द्वारा 50% निवेश के माध्यम से 1400 करोड़ रुपये का हो गया.  उन दिनों मुंबई में वह अपनी स्थिति में सुधार और विदेश में नौकरी पाने के लिए प्रार्थना करने के लिए मंदिर जाते थे.


नमकीन समुद्री हवा से बचाने के लिए किया जाएगा ये काम


बता दें कि  गोल्ड-इलेक्ट्रोप्लेटेड शुद्ध कॉपर शीट (मंदिर ट्रस्ट द्वारा अप्रूव डिजाइन) से बना नया गुंबद मंदिर के गुंबद के चारों ओर एक गैर-संक्षारक स्टेनलेस-स्टील फ्रेम पर टिका हुआ है. ये सब यह सुनिश्चित करने के लिए किया जा रहा है कि यह नमकीन समुद्री हवा के कारण खराब न हो.


मुंबई हेरिटेज कमेटी की अनुमति भी जरूरी


इस बीच, श्री महालक्ष्मी मंदिर ट्रस्ट के महाप्रबंधक शरदचंद्र पाध्ये ने कहा, "ट्रस्ट ने पहले ही सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है. केवल पूर्व शर्त यह है कि सोने का गुंबद उसी संरचना का होना चाहिए जो आज मौजूद है. इसकी विशेष देखभाल होगी ताकि गुंबद निर्माण के दौरान या बाद में मौजूदा संरचना क्षतिग्रस्त न हो.इसके लिए न्यासी मंडल से समय-समय पर अनुमति के अलावा डोनर को मुंबई हेरिटेज कमेटी की अनुमति लेनी होगी. हम इन तर्ज पर विस्तृत प्रस्ताव की प्रतीक्षा कर रहे हैं."


हैरिटेज कमेटी के अध्यक्ष ने क्या कहा?


वहीं मुंबई हेरिटेज कमेटी स्ट्रक्चरल फिटनेस और उपयुक्त हैरिटेज और स्थापत्य मानदंडों की जांच के बाद ही प्रोजेक्ट को हरी झंडी देगी. हैरिटेज कमेटी के अध्यक्ष रामनाथ झा ने कहा कि अभी तक ऐसा प्रस्ताव समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं किया गया है.


बता दें कि 10 करोड़ रुपये के सोना चढ़ाने के अलावा, गुंबद और मंदिर के चारों ओर तांबे की संरचना के निर्माण से परियोजना की कुल लागत लगभग 25 करोड़ रुपये होने का अनुमान है,  यानी15 करोड़ रुपये एक्स्ट्रा लगने हैं. एक बार शुरू होने के बाद, पूरे प्रोजेक्ट को पूरा होने में एक साल का समय लगेगा


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